tag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post6662475767834283948..comments2024-02-11T14:04:15.584+05:30Comments on Comic World: # Mohammad RafiComic Worldhttp://www.blogger.com/profile/13259813356597463028noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-84982554800777000672015-07-20T20:34:19.077+05:302015-07-20T20:34:19.077+05:30आज ही यह किताब खत्म करी है और अच्छी किताब पढ़ने के...आज ही यह किताब खत्म करी है और अच्छी किताब पढ़ने के असीम आनंद से सराबोर हो गया हूँ। पुस्तक का प्रस्तुतिकरण लाजवाब है, जिस तरह से किस्सों को सरलता और रोचकता के साथ परोसा है, वह पाठक को बांधे रखता है।<br />रफी साहब की पहली शादी की जानकारी इसी किताब के द्वारा ही प्राप्त हुई है।<br />रफी साहब वैसे तो अजातशत्रु थे किंतु उनकी खय्याम और कल्याणी, आनंदजी के साथ नोंकझोंक को भी बहुत अच्छे तरीके से वर्णन किया है।<br />खैर मेरा तो यही मानना था कि निकट संबंधीयों के द्वारा किसी महान व्यक्ति के बारे में जीवनी तारीफ के पुलों से भरपूर होती है किन्तु यहां तारीफ तो है किन्तु चापलूसी बिल्कुल नहीं है।<br /><br />लाजवाब किताब।paraghttps://www.blogger.com/profile/09850256608293569375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-34987423365851028102013-01-15T17:46:43.520+05:302013-01-15T17:46:43.520+05:30पराग भाई मैं आपकी बात से सहमत हूँ कि यह फ़ैसला करना...पराग भाई मैं आपकी बात से सहमत हूँ कि यह फ़ैसला करना कठिन था की रफ़ी साहब इन्सान ज्यादा अच्छे थे या गायक । जहाँ तक इस किताब की बात है जिसके बारे में पोस्ट लिखी गयी है तो इस किताब में रफ़ी साहब की गायकी से ज़्यादा उनके इंसानी पहलु पर तवज्जो दी गयी है जिसके कारण से ही यह किताब मुझे इस क़दर की पसंद आई क्योंकि रफ़ी साहब की गायकी के बारे में तो हमने बहुत सुना और बहुत पढ़ा लेकिन उनके इंसानी रूप को सिर्फ वही अच्छी तरह से पेश कर सकता है जो खुद उनके साथ रहा हो और यह रफ़ी साहब की पुत्र वधु ने बखूबी किया है । चूँकि इस किताब की लेखिका रफ़ी साहब की पुत्रवधू हैं इसलिए वह और अभी अच्छे से न्यूट्रल तरीके से रफ़ी साहब का आकलन कर पाई हैं जो उनके बच्चों में से अगर कोई किताब लिखता तो शायद न कर पाता और इसलिए ही यह किताब पढ़ने और सहेजने योग्य है ।Comic Worldhttps://www.blogger.com/profile/06397258202160274792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-7954789564252399302013-01-15T16:17:14.514+05:302013-01-15T16:17:14.514+05:30Zaheer Bhai,
Rafi sahab ke baare mein duniya ko ku...Zaheer Bhai,<br />Rafi sahab ke baare mein duniya ko kuch aur batana bahut mushkil hain.Iss mudde par bahas ho sakthi hain ki vo insaan jyadha behtreen the yaa gaayak.<br />Lakhsmi Pyare ne kahi kahah bhi hain ki upper wala shayad gayak tou unse behtar bana bhi de, insaan dobara aisa nahi bana payega.<br />Vo ek aise insaan the,chaahe royalty ka mudda ho yaa gaayak ki fees ka,Rafi sahab ne wahi kiya/ wahi kaha, jo unko sahi laga. Apne CA ke hisaab se kabhi rai nahi di.Aaj ki duniya mein isse ek aisi kami bataya jaata hain, jise kehte hain busibess sense ki kami hona.<br />Pehle vividh bharti mein filmi kalakaron se sakshatkaar se jure programon ko jab suna karthe the, to jab bhi LP, Anwar, Mahendra Kapur ko suna,to un sabhi ne rafi sahab ko ek aisi shakshiyat bataya, jo ki karobaari filmi duniya ke liye bani hi nahi thi.<br />Jab Aradhana ( Kishor, RD,Kaka ke daur ke samay ) ke baad unka down fall aaya, tab bhi shayad unke chahne waalon ko jyadha dikkat huyi, kintu rafi sahab ne kabhi bhi isski shikayat nahi ki.<br />Kishor Kumar bhi bahut bare gaayak the, kintu unko bhajan ya desh bhakthi ke gaane gane mein maharat nahi haasil ho sakhi. Saari range ke gaane gane ki kala to rahi sahab ke pass hi thi.<br /> Mera jo anubhav raha hain jeevniyon ko parne ke baare mein, vo yahi hain ki nikat sambandiyon ke dwara likhi gayi jeevniyan adhikaansh samay vaastiviktha se bhatak jaati hain.<br />Kai baar to vo "Raaso" granth mein tabdil ho jaati hain, jaha ki prashansha aur sirf prashansha hi bhari hoti hain.<br />Unka gaano ke baare mein nirnay lena ki kauna sa behatareen hain, kausa behatareen se behatareen hain, kum bahatareen hai, bahut hi duruh karya hain. Iss ke liye hum ko bahut saare paane kaale karne parenge aur likhne ke liye Ganeshji ki madad leni paregiparaghttps://www.blogger.com/profile/09850256608293569375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-47481190097522210242013-01-15T10:54:00.994+05:302013-01-15T10:54:00.994+05:30hi comic guy,
is there any more issues of inspect...hi comic guy,<br /><br />is there any more issues of inspector azad which u can share?<br /><br />thanks.DINAShttps://www.blogger.com/profile/16113480695961250939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-84023977672715465622013-01-13T09:59:58.085+05:302013-01-13T09:59:58.085+05:30जहीर भाई, दिल को छू लिया. ये तो सुच्चा सोना थे. का...जहीर भाई, दिल को छू लिया. ये तो सुच्चा सोना थे. कानों से दिल में जाते थे. सीधे.बरेली सेhttps://www.blogger.com/profile/10127507436735317915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-46240402054948686362013-01-11T22:03:38.674+05:302013-01-11T22:03:38.674+05:30कुलदीप लगता है तेरे और मेरे डीएनए का टेस्ट कराना ह...कुलदीप लगता है तेरे और मेरे डीएनए का टेस्ट कराना होगा की दोनों में कमबख्त कितने प्रतिशत की समानता है क्योंकि 'क्या हुआ तेरा वादा,वो क़सम वो इरादा.... ' ही वो पहला गीत था जिसने मुझे भी रफ़ी साहब की पिघले सोने और जादू भरी आवाज़ से अवगत कराया जिसे सुनने के बाद मैं जैसे किसी सम्मोहन की जकड़ में आ गया था और जिसके पाश से मैं अभी तक मुक्त नहीं हो पाया हूँ । हालाँकि उस ज़माने में टेपरिकॉर्डर भी था लेकिन मेरी पहुँच से बाहर था जिसके चलते रेडियो की मोहताजी लाज़िम थी । समय के साथ 'धर्मवीर,अमर अकबर अंथोनी,परवरिश' जैसी फ़िल्मों में रफ़ी साहब को सुना गया जिसके बाद से इनका जादू सर चढ़कर बोलने लगा और मैं रफ़ी साहब के बारे में किसी भी जानकारी या खबर के लिए फ़िल्मी रिसाले खंगालने लगा लेकिन रफ़ी साहब पर गहरी और पुख्ता जानकारी की बेहद कमी थी क्योंकि यह अपने शर्मीले स्वाभाव की वजह से इंटरव्यूज बेहद कम देते थे । इनकी पृष्ठभूमि इत्यादि की ऊपर-ऊपर की जानकारी होने के बाद इनको और भी करीब से जानने की प्यास बढ़ती गयी क्योंकि मैंने इनके बारे में जितना भी पढ़ा-सुना हर जगह इनके व्यव्हार और आदत की बेहद तारीफ़ ही पाई । कभी कोई साक्षात्कार देना भी पड़ता था तो यह घबरा जाते और कहने लगते की न जाने वे क्या पूछेंगे । घबराहट के बारे में ज़्यादा पूछने पर कहने लगते की,'अपना काम सिर्फ गाना है और वही अपने बारे में बात करेगा ' ।<br />नेट पर रफ़ी साहब के जो दो-एक वीडियो साक्षात्कार उपलब्ध हैं अगर आप उन्हें गौर से देखेंगे तो सोचने पर मजबूर हो जाएँगे कि इस इंसान के मुंह से तो ठीक से बात भी नहीं निकलती तो यह भला गाता कैसे होगा ! इसके मुतल्लिक मौजूदा किताब की लेखिका और रफ़ी साहब की पुत्रवधू भी लिखती हैं कि,'सामान्य हालातों में रफ़ी साहब के मुंह से ठीक तरह से बात भी नहीं निकलती थी और यह जवाब भी बहुत कम अल्फाज़ों में और शॉर्टकट में दिया करते थे लेकिन जब अपने स्टेज शोज के दौरान यह गाना गाने के लिए कपड़े पहन कर तैयार होने लगते थे तो अचानक इनकी शख्सियत में बदलाव आना शुरू हो जाता था और स्टेज तक पहुँचते-पहुँचते यह पूरे मोहम्मद रफ़ी बन जाते थे और स्टेज पर गीत बड़ी ही मस्ती और खुशमिजाज़ी से गाते थे जिसे देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह उनके वही शर्मीले और चुपचाप रहने वाले ससुर हैं ' ।<br />खैर,रफ़ी साहब के लिए मैं क्या लिखूं,क्या कहूँ क्योंकि दिल में जो जज़्बात हैं उन्हें शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है । जब भी इनका कोई गीत सुनता हूँ तो इनकी सधी हुई कलपा देने वाली आवाज़ सुनकर उस अल्लाह की तारीफ़ में सर झुक जाता है जिसने ऐसे इन्सान को बनाया । Comic Worldhttps://www.blogger.com/profile/06397258202160274792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4080173325200397348.post-6717440584126555742013-01-09T13:35:11.903+05:302013-01-09T13:35:11.903+05:30पता नहीं तब कितना छोटा था पर इतना जरुर याद है कि ग...पता नहीं तब कितना छोटा था पर इतना जरुर याद है कि गानों की और गायकों की समझ बिलकुल नहीं थी। माँ को गाना सुनने का शौक था और घर में एक पुराना बुश रेडियो हुआ करता था और माँ गाहे बगाहे उस पर विविध भारती जैसे कार्यक्रम सुन लिया करती थी। वो शायद फ़िल्मी गानों से मेरा पहला परिचय था। बिनाका गीत माला जो बाद में सिबाका गीत माला हो गया उस पर ध्यान आस पड़ोस में लोगो के घर जाकर हुआ जो बाद में आदत में शुमार हो गया कि सुनना ही है। अमिन सायानी साहेब की दिलकश प्रस्तुती का जादू था कि फ़िल्मी गानों की तरफ़ा रुझान गहरा रुख लेने लगी। ऐसे ही एक समय के दौरान जहा तक मुझे याद है .. शाम के 4 बजे जब मैं पढाई ख़तम कर रेडियो सुन रहा था ये गाना बजा " क्या हुआ तेरा वादा " .. गाने के शब्दों में जादू था या गाना गाने वाले में ये तो पता नहीं चला क्योकि पुरे गाने के दौरान मैं एक अजीब से सम्मोहन की गिरफ्त में आ गया . किसी फ़िल्मी गाने को लेकर इतना गहरा मैं डूबा ये कम से कम आज तक नहीं हुआ . गाना ख़तम हो गया और उसके बाद इस गाने को दुबारा सुनने की जो हुक दिल में मची उसका ये आलम था की मैं काफी दिनों तक एन उसी वक़्त पर रेडियो को ट्यून करने की कोशिश करता था कि शायद गाना फिर सुनने को मिल जाये। और साहेबान तब तक ये पता नहीं था कि इस गाने को जादू देने वाले फनकार श्री रफ़ी साहेब हैं। बाद मैं जैसे जैसे फिल्मो में रुझान बढ़ता गया , अलग अलग गाने सुनने के मौके मिलते गए, विभिन्न गायकों और गायकियो के बारे में भी ज्ञान बढ़ता गया . बाद में विभिन्न फ़िल्मी पत्र पत्रिकाओ के माध्यम से इस ज्ञान में इजाफा होता गया। <br />रफ़ी साहेब ने कितने गाने गाये , उनकी गायकी में क्या जादू था , कितने लोग उनके फैन क्यों है ये सब बताना एक दुहराव होगा पर एक बात जो मैंने रफ़ी साहेब के बारे अपनी अब तक अर्जित ज्ञान से जानी वो ये कि एक गायक और एक इन्सान के तौर उनके बारे में आज तक कोई भी कोई विपरीत राय कायम नहीं कर पाया . किसी गायक के बारे में यह मशहुर हुआ की वो घमंडी है या टाइप्ड है या किसी अन्य गायक को पनपने नहीं दिया या उसके किसी निर्माता निर्देशक से नहीं पटी वगेरा वगेरा मगर आज तक मेरी नज़र में ऐसी कोई बात नहीं आयी जिसमे रफ़ी साहेब के साथ ऐसी कोई ओछी बात किसी ने कहना तो दूर की बात अगर सोची भी हो। <br />रफ़ी साहेब के चेहरे पर नाचती वो निश्चल मुस्कान जो उनके व्यक्तित्व का परिचायक बन गयी आज भी लोगो के दिलो में कायम है। मेरा दावा है रफ़ी साहेब को याद करते ही इस मुस्कान से भरी उनकी तस्वीर तुरंत ही जेहन में ताज़ा हो जाती है। <br />मैं कोई गायक नहीं पर अच्छे गानों को सुनने का शौक जरुर है . संजीदा गाने सुनने का दायरा बहुत छोटा है . मस्ती भरे गाने कई गायकों ने गाये है पर जो गाने इन सब विधाओ में रफ़ी साहेब ने गाये है उन्हें सुनकर ऊपर वाला भी हैरान होता होगा की यार ऐसा जादू मेरे बनाये इन्सान कर रहा है . मैं खुद इस जादू से परे नहीं। चन्द गाने जिन्हें सुनकर मैं मदहोश हो जाता हु वो कुछ इस तरह से है।।<br />1. क्या हुआ तेरा वादा ... हम किसी से कम नहीं <br />2. तू इस तरह से मेरी जिंदगी .. आप तो ऐसे न थे <br />3. तुमसे दूर रह के .. अदालत <br />4. कौन किसी को .. कालिया <br />5. पूछो न यार क्या हुआ .. ज़माने को दिखाना हैं <br />हिंदी फिल्मो की कव्वालियो का जिक्र हो और रफ़ी साहेब का नाम न आये मुमकिन नहीं। आज भी पुराणी फिल्मो की कव्वालिया रफ़ी साहेब के कारण ही गुलजार है।<br />रफ़ी साहेब की याद , उनका जादू इस फानी दुनिया के रहते कभी मिट न सकेगा।<br />kuldeepjainhttps://www.blogger.com/profile/12769232528599846940noreply@blogger.com