दोस्तों,फ़र्ज़ कीजिये एक ऐसी कहानी का जिसमे एक आतंकवादी किसी राज्य के मुख्यमंत्री का क़त्ल कर एक घर में घुस जाता है जिसमे अपनी माज़ूर और दूसरों पर बोझ बन चुकी ज़िन्दगी से निराश मौत की कामना करती पैरो से अपाहिज एक लड़की मौजूद होती है । आतंकवादी उस बेबस और ज़िन्दगी से मायूस लड़की को बंधक बना लेता है । पुलिस मकान को चारों तरफ़ से घेरे खड़ी है । आतंकवादी के बच निकलने के एकलौता सहारा वह अपाहिज लड़की है जो पहले से ही अपने ज़िन्दगी से बेज़ार है और दिन-रात मौत की कामना करती रहती है । आतंकवादी लड़की की जान लेने की धमकी देकर पुलिस को धमकाए रखता है और एक जाँबाज़ और कर्मठ इंस्पेक्टर सीमित संसाधनों के बावजूद उस खूँखार आतंकवादी को पकड़ने की तमाम जुगतें लगाता बैठता है । अपनी ज़िन्दगी से परेशान विकलांग लड़की आतंकवादी से उसके मक़सद ,दहशतगर्दी और दूसरों की जान लेने के उसके कृत्यों की सार्थकता के बाबत पूछती है जिसके जवाबों से उस आतंकवादी की मनोस्थिति की कैफ़ियत से वाकफियत होती है । जितना अरसा वह आतंकवादी और लड़की साथ गुज़ारने पर मजबूर होते हैं उसमे एक दहशतगर्द की मानसिकता के कड़वे लेकिन रोचक पहलु उजागर होते हैं ।
दोस्तों,आज हम एक ऐसी फ़िल्म के बारे में बात करेंगे जिसमे यह विषय बड़ी संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ हैंडल किया जाता है और इस फ़िल्म का नाम है 'अँधा युद्ध' ।
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दोस्तों,आज हम एक ऐसी फ़िल्म के बारे में बात करेंगे जिसमे यह विषय बड़ी संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ हैंडल किया जाता है और इस फ़िल्म का नाम है 'अँधा युद्ध' ।