Monday, June 20, 2011

# The Jungle Patrol

दोस्तों काफ़ी मुद्दत से इस मौजूं पर लिखने की सोच रहा था जिसपर ज़िक्र करने के लिए मेरी उँगलियाँ इस वक़्त कीबोर्ड पर थिरक रही हैं.यूँ तो वेताल की मरहूम फ़ाल्क लिखित सभी कहानियां अपने आप में बेजोड़ हैं लेकिन वो कहानियां जिसमे वेताल पुरखों के कारनामे बयान किये गए हैं वो अपने-आप में लासानी(बेमिसाल)और लाफ़ानी(अमर)हैं.ऐसी ही एक कहानी है जो यह बताती है की जंगल गश्ती दल कैसे वजूद में आया,और यह कहानी है The Founding of Jungle Patrol(Sunday Strip No.64).
यह कहानी 12th वेताल के समय की है जिसमे वेताल ने समुद्री दस्यु के सबसे बदनाम दल को ख़त्म कर उन्ही के द्वारा जंगल गश्ती दल की स्थापना की.....है न अचरज की बात!






























सबसे पहली बार यह कहानी अख़बारों में 1964 के मध्य में नज़र आई थी,यह वो समय था वेताल को Sy Barry बना रहे थे.Barry अब तक के सबसे प्रभावशाली,सफल और लोकप्रिय वेताल चित्रकार रहे हैं,इनकी कला के साथ फ़ाल्क ने वेताल को उस दौर में वो ऊचाइयां प्रदान की जब वेताल दुनिया भर में पढ़ा जाने वाला सबसे मकबूल चरित्र बन गया और उसके कारनामे दुनिया भर में करोड़ों की तादाद में हर रोज़ पढ़े जाते थे,और मौजूदा कहानी भी कोई अपवाद नहीं है.
हालाँकि यह कहानी इंद्रजाल कॉमिक्स द्वारा भी 1966 में प्रकाशित की गयी थी लेकिन अति-सम्पादित रूप में जिसमे कहानी के कई पैनल्स को उड़ा दिया गया था और हिंदी अनुवाद भी बहुत सामान्य स्तर का था.

























1990 में इंद्रजाल कॉमिक्स के बंद होने के बाद वेताल को प्रकाशित करने का अधिकार जब Diamond Comics ने प्राप्त कर लिया था तब उन्होंने डाईजेस्ट न.11 में पहली बार इस कहानी को प्रकाशित किया था अपने मूल रूप में बिना किसी पैनल की कांट-छांट के,और इस बार हैरतंगेज़ रूप से हिंदी अनुवाद बेहद ही प्रभावशाली और कहानी की आत्मा के एकदम अनुरूप था जोकि आमतौर से Diamond Digests में पाया नहीं जाता है.खैर इसके बारे में हम आगे भी बात करेंगे.

Lee Falk का कहानी शुरू करने का अंदाज़ अलग हटके और प्रभावशाली हुआ करता था जैसा की इस कहानी में उन्होंने किया है और जो आने वाली कहानियों में कई बार दोहराया जाने वाला था.








  
कहानी शुरू होती है वेताल की गुफ़ा की रहस्मयता के ज़िक्र से जो आगे चलकर जंगल गश्ती दल की पैदाइश के ज़िक्र में मॉर्फ़ होने वाली है.
गश्ती दल में इस बात पर ज़िक्र हो रहा है की दल की स्थापना कैसे हुई तभी फ़ाल्क कैमरे को बीहड़ बन में ले जाते हैं और हम देखते हैं की खोपड़ीनुमा गुफ़ा में गुर्रन भी वेताल से पूछता है की गश्ती दल कैसे बना,वेताल इस सवाल का हल वेताल कोष में ढूँढता है.




और इस प्रकार शुरू होती है एक बेहद लोमहर्षक कहानी जिसे पढ़ते समय मुझे कई बार ऐसा लगा की जैसे मैं कोई बेहद तेज़ रफ़्तार एक्शन फिल्म देख रहा हूँ,कहानी पढ़ते समय उसके पैनल्स में वर्णित दृश्य कई बार ऐसा लगे जैसे ज़हन के परदे पर चल रहे है. 


इस कहानी का सबसे प्रभावशाली दृश्य है वेताल और लाल दाढ़ी वाले के बीच युद्ध दृश्य जो इस बारीकी और विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है जिसे पढ़ते समय आपको लगेगा की आप उसको पढ़ नहीं बल्कि देख रहे हैं.



















वेताल सैन्लोई से दस्युओं का आतंक ख़त्म करने के उद्देश्य से उनके आका लाल दाढ़ी वाले को चुनौती देता है और एक आमरण युद्ध आरम्भ होता है दोनों के बीच में,दोनों लड़ते-लड़ते पूरे सैन्लोई में घूम रहे है,कभी वेताल का पल्ला भारी होता है तो कभी लाल दाढ़ी वाले का.वेताल को भी ज्ञात है की यह उसके जीवन का सबसे कठिन युद्ध है और ऐसे में जब एक बंदी हसीना पर वेताल की नज़र पड़ती है तो वो ठगा सा रह जाता है....ज़रा गौर कीजिये १२वे वेताल की आशिकमिजाज़ी की,जनाब अपने जीवन की बाज़ी लगाकर दुश्मन के गढ़ में घुसकर लड़ रहे हैं और एक हसीना पर नज़र पड़ते ही सुधबुध खो बैठते हैं..वाह,क्या बात है..और तो और वो अपनी इस हरकत की क्या वजह बताते हैं ज़रा देखिये...












"SHE WAS A BEAUTY-WELL WORTH THE LOSS OF A SWORD!"




इसी संवाद को Diamond comics के हिंदी अनुवादक ने कितनी ख़ूबसूरती से लिखा है ज़रा आप इस पर भी गौर फरमायें...









































तो पढ़ा आपने की क्या कहा वेताल ने की "वो लड़की थी ही इतनी सुन्दर की उसपर तलवार न्योछावर कर मैंने कोई गलती नहीं की"..वाह,वाह...क्या खूब!!इस संवाद को पढ़कर मुझे फिल्म 'शोले' का वो संवाद याद आता है जिसमे संजीव कुमार दोनों(अमिताभ,धर्मेन्द्र) से कहता है की "तुम दोनों को यहाँ बुलाकर मैंने कोई गलती नहीं की"
Diamond Comics में जिस किसी ने भी इस कहानी का अनुवाद किया है वो निश्चय ही वेताल प्रशंसक रहा होगा क्योंकि उसने सिर्फ शब्द-दर-शब्द अनुवाद नहीं किया है बल्कि कहानी के मूल भाव को समझकर उसके अनुसार अनुवाद किया है जो हर वाक्य का मर्म उसके अंग्रेजी मूल रूप के अनुसार बयां करता हैं.


आशा है आप सभी ने इस कथा को पढ़ा ही होगा,यदि नहीं तो आप इस कहानी को इसके मूल स्वरुप यानि स्ट्रिप के रूप में पढ़ सकते है और इसके रंगीन स्वरुप में भी,लेकिन रंगीन स्वरुप में एक कमी है और वो यह की वो पूर्ण नहीं है और उसके आखिर के कुछ पन्ने गायब हैं.


Read complete Strip in B/W
Read Colorized Strip




जैसा की मैं ऊपर बयां कर चूका हूँ की इस कहानी की खासियतों में से एक है Sy Barry की प्रभावशाली चित्रकारी जिसकी वजह से यह कहानी इतने आकर्षक स्वरुप में उभरकर आ सकी.एक बानगी देखिये...







वेताल की एक गंभीर मुद्रा का कितना आकर्षक और प्रभावशाली चित्र है...अब इसका Diamond version देखिये.....























दोस्तों मैं लिखना तो और भी बहुत कुछ चाहता था लेकिन समय की कमी की वजह से(कमबख्त शादीशुदा आदमी का वक़्त भी अपना नहीं होता) चाह कर भी और ज़्यादा लिख नहीं पाया क्योंकि अगर मैं माकूल समय के इंतज़ार में रहता तो यह पोस्ट शायद आगे भी अनिश्चितकाल के लिए टल जाती जैसा के अब तक टलती आ रही थी...और दूसरी बात कई दोस्तों ने इल्तिजा की थी मैं इस प्रकार की पोस्ट्स अंग्रेजी में लिखा करू लेकिन वो क्या है की कमबख्त अंग्रेजी में लिखते समय वो अपनापा नहीं आ पता जो हिंदी में लिखने पर आता है और दिल में वो ख्याल भी नहीं आते जो हिंदी में लिखते समय घुमड़ते हैं,इसलिए मैं अपने उन दोस्तों से मुआफी का तलबगार हूँ.

धत्त तेरे की....देखिये यह जल्दबाज़ी के चक्कर में मैं सबसे ज़रूरी बात तो बताना भूल ही जा रहा था और वो यह की इस स्ट्रिप में दो बार एक ही गलती दोहराई गयी है.इस कहानी में यह बताया है की जंगल गश्ती दल की स्थापना 1664 में की गई यानी तक़रीबन 300 वर्ष पूर्व(1964 से हिसाब लगाने पर जब यह कहानी प्रकाशित हुई थी),इस बात का ज़िक्र कहानी में बखूबी किया है..ज़रा देखिये तो इन पन्नो को...





















इन पन्नो में साफ़ तौर पर वेताल भी और Col.Weeks फरमा रहे हैं की जंगल गश्ती दल की शुरुआत तकरीबन 300 वर्ष पहले हुई.

अब ज़रा इसी कहानी के एक और इस पैनल पर गौर फरमाइए जहाँ वेताल साहब यह कह रहे हैं की यह सारी घटना 200 वर्ष पहले घटी....










अब यह फ़ाल्क साहब से लिखने में चूक हुई या की letterer से लिखने में गलती इसका कौन जाने...

ऐसी ही एक त्रुटी और है जिसमे मौजूदा 21st वेताल को 20~वा वेताल बताया जा रहा है,ज़रा देखिये तो...












इस तरह की छोटी-मोटी गलतियाँ कई सारी स्ट्रिप्स में हैं लेकिन वो किसी भी सूरत में इन कहानियों के मज़े में कोई कमी नहीं लाती.
उम्मीद है आप यह पोस्ट पसंद आई होगी,यदि हाँ तो अपने विचारों से अवगत अवश्य कराएं.



27 comments:

praveen said...

I congratulate you for this post.
I appreciate the analysis on the comic.
Praveen

BABABU said...

Oh my GOD ! What an award wining presentation ! As soon as I came to know about this splendid post , I visited your blog and after seeing I was just overwhelmed. What class you have shown my friend ! You touched each and every aspect of the storyline . Are you a professional writer ? If yes tell me name of the books you have written so far . I am eager to read more of your magical words !


Thanks for this extraordinary post

Silly Boy said...

Fantastic article Zaheer Bhai. I read the story but your post now make me eager to read this story again. What is the source of coloured stips? They are obviously not from Diamond or IJC.

TIGER said...

What analytical brain you have got , Comic Brother ! Simply terrific post worth reading again & again . Your whole heartedly efforts are visible from each and every word you have mentioned. Breathtaking fight scenes between vetaal & red beard man is the main attraction of this thrilling adventure. Hoping you will now continue this amazing vetaal voyage in a top gear from nowonwards

KALA PRET said...

सुबानाल्लाह ! सुबानाल्लाह ! , यह होती है अजीम शान -ओ- शौकत युक्त साकिब पेशकश , ऐसी ही वेताल कथा की एक लम्बे वक्फे से बेइंतिहा तिश्नगी थी , जैसे प्यासी बंजर धरती को बारिश की बूंदों की अदद दरकार होती है ठीक इसी तरह के दुश्वार कैफिय्यत हम जैसे "वेताल फिदाईऔं" के लिए बन गए थे , लेकिन क्या झमाझम बरसे हो आप इस बार की बस इस मलूल दिल को शाद - शाद कर दिया
लाल दाढ़ी वाले और वेताल के बीच में हुई शम्शेरों की भीषण जंग नें तो बस समय को एक बारगी तो रोक ही दिया ऐसा लग रहा था जैसे मैं खुद साक्षी बना हूँ इस दिल दहलाने वाली जंग का

अगर इस कथा को लिखने का मौका मुझे मिलता तो मैं वहां पर यह लिखता जब लड़ते लड़ते वेताल की दिलफेंक नजरें एक बला सी खुबसूरत अप्सरा से जा भिड़ती हैं , "तलवार क्या अगर इस हसीन पल को देखने की एवज में हाथ भी कुर्बान हो जाता तो हँसते हँसते न्योछावर कर देता "

आगे भी आपसे ऐसी ही युरिश्मय एवं नजीब वेताल कथाओं का बेसब्री से इन्तेजार रहेगा , अब रुखसत लेने की घडी आ गयी है

सलाम ऐ मेरे साहिर दोस्त

indian citizen said...

wah wah wah wah
wah wah wah wah
wah wah wah wah
wah wah wah wah
aur isse jyada kya kahoon..

VISHAL said...

वाह विश्लेषण विशेषज्ञ वाह ! क्या बेमिसाल नजारा प्रस्तुत किया है , आपके अन्दर का पुन: आंदोलित हुआ जोश आपके एक एक लिखे गए लफ्जों में ठाठें मारता हुआ चीख चीख कर यह बयाँ कर रहा है की CW अपने असली रंग में आ चुके हैं , क्या उम्दा कथानक चुना है अपने जोशीले जज्बे को दर्शाने के लिए , जब जब वेताल अपनी खोपड़ी नुमा गुफा में जाकर अपने पुरखों की कोई कहानी सुनाने लगता है तो मेरी नजरें जा टिकती हैं
(१) मोमबत्ती की ऊँची लौ और पिगलती हुई मोम के ढेर के आधार पर , दिलकश नजारा
(२) लम्बी सी पंखनुमा कलमों पर
(३) भरी भरकम ग्रन्थ
(४) और सबसे दिलकश इस मद्धम रौशनी में नहाया हुआ हमारे वेताल की गंभीर मुख मुद्रा वाला मनोहारी चेहरा , क्या कहने

भाई देखा , वेताल नें कैसे नारियल को एक हाथ में मसल कर अथाह शक्ति प्रदर्शन किया , सब आश्चर्यचकित और दंग रह गए , भाई आप एक विलक्षण चीज की तुलना करना भूल गए , वो है The Great Beard और वेताल की कद काठी का , इस लाल दाड़ी वाले दैत्य के सामने तो वेताल जैसा महामानव भी छोटा पड़ गया , दाड़ी वाले नें अपने एक एक घन समान पड़ते तलवार के वार से वेताल के पसीने छुडा दिए , जो भी सामने आया इस तलवार के वार से काटने से न बच पाया , लेकिन इस LAST MAN STANDING BOUT में जब जंग चरम सीमा पर थी तब भी वेताल 'अख मटक्का' करने से बाज नहीं आया , यह हुई आँखें चार इस रूपवती से और यह उड़ गयी तलवार , लेकिन जैसे तैसे इस सुंदरी के सामने अपनी इज्जत तो रखनी ही थी वेताल को और अपनी आखरी ताकत समेट आखिरकार इस दैत्य पर विजय प्राप्त कर ही ली

ह्म्म्फ़ ऐसा बेहाल वेताल को पहले कभी नहीं देखा (भाई लिखना तो बहुत चाहता हूँ , लेकिन शादी शुदा आदमी लिखे भी तो आखिर कितना , अपने मेरे मर्म को भली भांति समझते हैं ) इस लाफ़ानी और लासानी दास्तान सुनाने के लिए है विश्लेषण विशेषज्ञ आपका शुक्रिया :)

विशाल

AJAY said...

Hello Zaheer ,
Nice post . One of my most favourite story , Plus reporter - IJC #76 , gray gang , IJC #65 too .

In case , you would have scanned & posted #26 in HQ English IJC , would have graced much more .

I think, this was the story of 6th Phantom , not 12th Phantom .
Natala looked extremely beautiful in this story

Comic World said...

Praveen: Welcome and thanks Praveen.

Comic World said...

Bababu: Ohh My God...these are the most encouraging and appreciative words which i have ever heard.Well,many thanks buddy for liking my humble throw of words.These are the sort of comments which ignites my passion for discussing and writing.
Once again heartfelt thanks for such kind and encouraging words.

Comic World said...

Silly Boy: Welcome and thanks Arun Bro.Yeah,IJC/Diamond is certainly not source behind the colored strip,in fact i got this colored strip long-long time back through a friend who also got it from some unknown source.

Comic World said...
This comment has been removed by the author.
Comic World said...

Tiger: Well,brother i am not finding words to say here in front of such great appreciation from friends like you.In fact after finishing this post i was not fully satisfied with my efforts as many things,points and facts were left behind which i was wishing to say(write) and which ultimately i couldn't been able to because of shortage of time and proper mood[courtesy my family(read wife)] but still you people liked this post to this extent and this feels amazing for which tons of thanks to admirers like you who are the real strength behind my inspiration.

Comic World said...

Kala Pret: प्रेत भाई,शुक्रिया-करम-मेहरबानी!यह सब आप जैसे दोस्तों की हौसला-अफज़ाई ही है जो मुझे इस मुक़ाबिल की पोस्ट्स लिखने की तरफ रुजू करती है.जी हैं,आपका कहना दुरुस्त है की वेताल और लाल दाढ़ी वाले के बीच शमशीरों से जंग ही इस कहानी का सबसे दिलचस्प हिस्सा है और इस दिलचस्पी में इज़ाफा करती है उस कैदी हसीना को देखकर वेताल के हाथो से तलवार छूटना...वाह,कमाल के तसुव्वरात थे मरहूम फ़ाल्क साहब के.
वेताल की सभी कहानियां ऐसी हैं की उनपर जितना तज़्किरा किया जाये कम है,मैं कोशिश करूँगा की मुस्तकबिल में इस किस्म की पोस्ट्स की रवानी तेज़ कर सकूं,बस आप जैसे वेताल आश्नाइयों का साथ चाहिए.

Comic World said...

AKF: आनंद भाई बहुत-बहुत शुक्रिया की यह पोस्ट आप सबको इस कद्र पसंद आई जबकि लिखने के बाद मैं खुद भी पूरी तरह से मुतमईन(संतुष्ट) नहीं था.आनंद भाई अफ़सोस की बात तो यह है की गूगल का अनुवादक(transliteration) सिर्फ़ नाम के लिए है क्योंकि वो सिर्फ़ हिंदी शब्दों का मात्र अंग्रेजी अनुवाद करता जो कतई तौर पर काफ़ी नहीं हिंदी में लिखे गए को अंग्रेजी में समझ पाने का.इसलिए मैं कोशिश करूँगा की कभी हिंदी में और कभी अंग्रेजी में लिखता रहूँ जिससे की किसी भी भाषा के तुल्बा(पाठक) को परेशानी न हो.

Comic World said...

Indian Citizen: Thanks,Thanks,Thanks......

KAMDEV said...

मुझे कॉमिक्स पड़ने का शौंक तो नहीं रहा लेकिन हाँ VETAAL / MANDREK / GARTH की कई कहानियां पड़ चूका हूँ मगर अखबारों में छपने वाली स्ट्रिप्स के माध्यम से क्योंकि अखबार शुरू से ही मेरी जिन्दगी का अभिन हिस्सा रहे हैं जब यह स्ट्रिप्स छपती थी तो सब से पहले इसी एक पट्टी की कहानी को खत्म करता था , शुरू मैं तो कतरने भी खूब जमा की थी I आपकी इस दमदार पोस्ट में कुछ नयाँपन महसूस हुआ , बाकि पोस्ट से कुछ हटकर I
कॉमिक्स के इलावा आप फ़िल्मी रसालों और पत्रिकाओं के भी बहुत बड़े रसिया हो , ऐसी ही एक मस्त पत्रिका है DEBONAIR , आपने भी इसे जरुर पड़ा नहीं तो निहारा तो जरुर होगा I आपने STARDUST पर भी एक बार लिखा था , क्या मैं आपसे गुजारिश कर सकता हूँ की आप आपने बेहतरीन स्टाइल में DEBONAIR के भूतकाल पर भी कुछ प्रकाश डालें , आज कल यह प्रकाशित तो हो रही हैं लेकिन बगेर किसी दम ख़म के जो इसके पुराने अंकों में भरपूर मात्र में उपलब्ध होता था I कृपया मेरे कहने का गलत मतलब मत लीजियेगा मेरे कहने का मतलब इस मैगजीन की फोटो से नहीं केवल इस पत्रिका पर एक लेख लिखने से है इसके शुरुवाती शानदार अंकों पर , अगर आप ऐसा कर दें तो डॉ. डैंग के स्टाइल में [मजा आएगा]

Comic World said...

Vishal :विशाल भाई शुक्रिया.आपका कहना सही है दरअस्ल वक़्त की कमी की वजह से कई सारी बातों पर रौशनी डालना रह गया जिसमे वो सब बाते भी आती हैं जिनका आपने ज़िक्र किया है.मेरा इरादा तो था की वेताल और लाल दाढ़ी वाले के मुक़ाबले वाले हिस्से के हर पैनल का खूब चबा-चबा कर ज़िक्र करने का लेकिन ज्यू-ज्यू रात गहराती जा रही थी हमारी शरीके-हयात का पारा डिग्री-दर-डिग्री बढता जा रह था इसलिए घर के चैन-ओं-अमन को क़ायम रखने की खातिर मुनासिब यही जाना की कहानी को अब लपेट दिया जाये.

Comic World said...

Ajay: Welcome Ajay.Well,if i would have having any issue either Hindi/English of this comic then i would have loved to post it here.
Lee Falk have created confusion regarding the founder of Jungle Patrol as both 6th and 12th Phantom have been credited to found JP in different-different stories.

Comic World said...

Kamdev: आपकी आमद और पोस्ट की तारीफ़ के लिए शुक्रिया.मुझे समझ नहीं आ रहा है की आपकी फरमाईश,जो आपके छद्म नाम के अनुसार ही है,के मुताल्लिक क्या कहूं.आपने जिस अंग्रेज़ी पत्रिका का ज़िक्र किया है वो सिर्फ़ उघड़ी और अश्लील तस्वीरों के लिए ही कुख्यात थी.मुझे नहीं लगता की मैं उसके किसी भी पहलु पर ज़िक्र करने लायक क़ाबलियत और दिलचस्पी रखता हूँ.

VISHAL said...

कॉमिक भाई , बिग बार्ट भी खूब कद्दावर निकला वेताल की तुलना में , यह अलग बात है की वेताल नें उसे जल्दी ही फरसा युद्ध में परास्त कर दिया हालाँकि बिग बार्ट फरसा युद्ध में माहिर था , दूसरा योधा तो साधारण ही था पर तीसरा योधा थुल्थला लेकिन शक्तिशाली निकला जिसका नाम था क्रशर , हसीना की कमर में हाथ डाले हुए बड़े से जग में शायद मदिरा पान कर रहा है युद्ध से पहले , गुंथे हुए आटे से पेट में वेताल का घूंसा धप्प से धस जाता है , इससे पहले की क्रशरवेताल को मसल डाले वेताल नें पार पा ही लिया , लेकिन कॉमिक भाई , लाल दाडी वाले सांड से युद्ध से एकदम पहले वेताल को तीन तीन योधाओं से लड़ना पड़ा , यह तो नाइंसाफी थी, वेताल थक चूका था , पर फिर भी विजय हासिल कर ही ली

कॉमिक भाई आगे से ऐसे जबरदस्त कथानक को पूरा करने के लिए अपना पूरा समय लीजिये , परिवार को प्रयाप्त समय देने के बाद जब आपको लगे हाँ अब कुछ भी अनछुआ पहलु नहीं रहा है कहानी में , तभी पोस्ट कीजिये ,
आपकी अगली पोस्ट के इन्तेजार में
विशाल

Comic World said...

Vishal: विशाल भाई आप भी पारखी और दिलचस्प नज़र रखते हैं इसमें भी कोई शक नहीं है.दरअस्ल,मैं किसी भी पोस्ट को एक ही बैठक में ख़त्म करने को प्राथमिकता देता हूँ,कारण यह की बीच में वक्फ़ा आ जाने से ज़हन में घुमड़ते ख्यालात छिन्न-भिन्न हो जाते हैं और उनमे ताराम्त्य भी नहीं रह पाता.अब एकमुश्त इतनी लम्बी बैठक तो तभी नसीब हो सकती है जब मैं बिलकुल अकेले में लिखता होऊं जहाँ मुझे डिस्टर्ब करने वाला भी कोई न हो जो मौजूदा हालातों में तो मुमकिन नहीं दीखता.

sagar said...

Thanks zaheer bhai for your valuable comments,

Do u know thios is my one of the best comics of phantom no doubt its no 1 for me, mein iss kahani se bahut bahut prabhawit huwa tha , hoo, aur rahoonga,

issme ek yeh scene hai jab phantom nariyal ko apne panjo se tukde tukde karta hai woh bhi , krashar ke anda to phodte huwe phantom ka jawab tha aur jo dialouge tha wah wah kya kahane....!!

iss kahani me jab phantom jaan se kisiko nahi marta hai tab waha jama sab ke aanko me aanshu hote hai, kyuki sab log insaniyat, raham sab bhool gaye the...per phantom ki zindadilli dekh sabke aankhe nam ho jati hai...!!

iss kahani me na sirf romantic angel tha balki emotional touch bhi the aur sabse highlight tha action scene..!!

iss liye yeh comics mere best comics hai,

leefalk sir ka mein bachpan se fan the, hai aur jeevan var tak rahenge...unke jaise artist yugo me SIRF EK paida hote hai...!!

aaj HARRY potter ki puri duniya me DHOOM hai, jabki lee falk ke sabhi fans jante hai jitni VARIETY , jadoogar MANDRAKE ke stories me hoti thi uski 1% bhi harry potterme nahi hai,

KAASH koi HOLLYWOOD ki nazar lee falk ke stories me padi hoti toh aaj PHANTOM, MANDRAKE iss SPIDERMAN se kahi zyada LOKPRIYE HOTE..!!

LEE FALK MERE GURU HAI,unki indrajal no 70 NACCHATRO SE AAGE , mera sabse favourite comics hai,
Yeh comics pathkar me kuch der apne ko bhool gaya tha koi insaan AAIS BHI SOCH SAKTA HAI JUST AMAZING ,..unbelievable story normal people cannot think such a GREAT CONCEPT..!!

Comic World said...

Sagar Bhai: सागर भाई आपने जिस बारीकी से जिन नुक्तो पर अपनी राय ज़ाहिर की है उससे साफ़ ज़ाहिर होता है की आप भी बहुत गहरे वाले वेताल मुरीदों में से एक हो.मैं आपकी बात से सौ फ़ीसदी इत्तेफ़ाक रखता हूँ यह कॉमिक वेताल की सर्वश्रेष्ठ कथाओं में से एक है क्योंकि इसमें सभी भावनाओं को समुचित मिकदार में दर्शाया गया है.
सबसे भावुक दृश्यों में मेरी नज़र में यह दो दृश्य हैं:
१.जब वेताल लाल दाढ़ी वाले की जान बख्शता है तो तमाशा देखती दस्यु भीड़ की आँखों में आंसू आ जाते है क्योंकि वो तो जैसे बेहिस और कठोर ज़िन्दगी जीते-जीते दया,करुणा जैसी भावनाएं भुला बैठे थे.
२.जब अंत में दिल के हाथो मजबूर होकर नटाला अपना राज-पाट छोड़कर भागी-भागी बीहड़बन जाती है और वेताल को विवाह का प्रस्ताव देती है.वेताल तो शराफ़त के तकाज़े और नटाला की हैसियत को मद्देनज़र रखते हुए उसे 'प्रोपोज़' नहीं कर पाया लेकिन नटाला वेताल की मोहब्बत में गिरफ़्तार अपना सब कुछ त्याग कर चली आई.
महान लेखक ली फ़ाल्क की कहानियों की यही खासियत है उनमे इंसानी जज़बातों को भी समुचित जगह दी जाती थी,सचमुच फ़ाल्क जैसा लेखक सदियों में ही जन्म लेता है.

HojO said...

@CW:First of all,comment posting is NOT working as 'pop-up/comment-page' set-ups are the ones only ok for bloggers.For this 3rd set-up,many are facing problems world-wide.
-------------------
Yes,this nicely colored strip was done by Ivan from IpComics,probably 6-7 years ago.He got some good talent,as he had displayed in other strips too!
Now,this is one of the best sundays from BARRY era!!I loved the way it started off and so the finishing,with a completely different(& pleasant) note!By the way,you might have wrote a bit longer post,while yes,that would take much time.

PS - One of the few highlight was,when one bandar was angry on why 6th Phantom didn't propsed the queen and said 'he's fool'.Then Phantom just said that story is yet to over,but he was thinking like "don't call my ancestor a fool" - loved this part!!It simply shows how proud he is for own 400-year-old lineage!:)

Comic World said...

Hojo: Thanks for informing about the comment posting problem,well,i will be enabling other method of comment posting if this problem persists.
Thanks also for providing info about coloring of this strip,yeah,Ivan has done a great job.
This is also one of my favorite Falk-Barry story as it contains all human emotions in its full glory.Best of all the quality of mercy and forgiveness has been depicted in such a impressive and convincing manner that it brings tears in reader eye.
Apart from it gentleness and humbleness of Phantom is on peak when,instead of having such soft and strong feelings,he feels too shy and noble to propose a queen,and above all the story has a smooth and emotion packed roller-coaster ending when Natala leaves her throne for love.

Gaurav The Devil said...

Thanks for sharing. I think I'm having this one in my collection (in hardcopy) but with some other cover. Anyhoe thanks for sharing as I like to have it on my Hard disk too.

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