Monday, May 24, 2010

# वाकुल दुर्ग का रहस्य

UPDATE(24th May):2nd part of 'Vakul Durg Ka Rehasya' also uploaded.
******************************************************************************************************************
दोस्तों प्रस्तुत है वेताल के सबसे ज़्यादा लोमहर्षक कथाओं में से एक "वाकुल दुर्ग का रहस्य" जो की इंद्रजाल कॉमिक्स द्वारा 1980 में प्रकाशित की गई थी.
इस कॉमिक की ख़ास बात ये है की या एकलौती ऐसी Swedish कहानी है जिसने इंद्रजाल कॉमिक्स के पन्नो में जगह पाई,और दूसरी बात,ये उन चंद कथाओं में से एक है जो ली-फाल्क की कलम से जन्म लेने के बावजूद रोमांच और स्तर में किसी भी दूसरी फाल्क वेताल-कथा से पीछे नहीं है.
ऐतिहासिक घटनाओ की पृष्ठभूमि में कहानी बुनने की फाल्क की ख़ासियत का लेखक 'नॉर्मन वर्कर' ने भी अनुसरण किया है और कार्पेटिया एवं ऑस्ट्रिया के बीच हुई जंग के कैनवस पर इस कहानी में रंग भरे हैं.

















कथा कुछ ऐसे शुरू होती है,ऑस्ट्रिया ने जबरन कार्पेटिया को कब्ज़ाये रखा है,बाद में बोस्निया एवं हर्ज़ेगोविना को कब्ज़े में लेने की लिए कार्पेटिया से सैनिक बुलाये जाते हैं,मौका देख कर स्थानीय अवाम पुराने शासक एवं वाकुल दुर्ग के मालिक काउंट स्टायरबाश के नेतृत्व में विद्रोह कर देती है जिसको कुचलने के लिए कार्पेटिया व ऑस्ट्रिया के मध्य युद्ध होता है.मैदान काउंट के हाथ आता है पर भीषण लड़ाई और काफी नुकसान के बाद,घायलों और कमज़ोर सैनिकों को लूटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुजरिम संगठन 'गिद्ध' नज़रें गड़ाए बैठा था पर इस बार गिद्ध के मंसूबे कुछ और ही थे,बुरी तरह थके सैनिकों और घायल काउंट की अवस्था का फायदा उठा कर गिद्ध का मुखिया ब्लैक बोरिस एक खुनी योजना को अंजाम देकर काउंट की जगह ले बैठता है.स्थानीय अवाम पर काउंट के ज़ुल्म हद पार कर जाते हैं,जनता त्राहि-त्राहि कर बैठती है.इस अत्याचारी से कैसे छुटकारा पाया जाये ये विचारने के लिए महापौर के घर बैठक होती है और उसमे ज़िक्र छिड़ता है वेताल का जिसने पूर्व में कभी स्टायरबाश परिवार के किसी सदस्य के मदद की थी एवं जिसका सुरक्षा चिन्ह वाकुल दुर्ग के दरवाज़े पर चिन्हित था,नतीजतन वेताल से मदद की गुहार लगायी जाती है,और जैसा की आशा थी वेताल(मौजूदा वेताल के दादा) का आगमन होता है और कैसे वो वाकुल दुर्ग को गिद्ध के आतंक से मुक्ति दिलाता है ये सब खुद ही जानिए इस सनसनीखेज चित्रकथा में.
वेताल-वृतांतों में से ली गई कथाएँ हमेशा सामान्य से अधिक रोमांचक एवं रोचक रही हैं इसी तथ्य को भुनाया है लेखक 'वर्कर' ने और इसमें सहयोग दिया है प्रतिभाशाली चित्रकार 'जैमे वाल्व' ने जिनके चित्र वेताल की शख्सियत को वही रहस्यमयी प्रभाव प्रदान करते हैं को कभी मूर के चित्र किया करते थे.
'गिद्ध' एक प्रभावशाली वेताल-खलनायक रहा है जो सर्वप्रथम नज़र आया था डेली स्ट्रिप न.114(The Vultures) में पर अचरज की बात ये है की फ़ाल्क ने कभी 'गिद्ध' को दोहराया नहीं,वैसे फ़ाल्क ने बहुत कम ही खलनायकों को दोहराया है और गिद्ध भी कोई अपवाद नहीं,पर स्वीडिश कथाकारों ने मशहूर खलनायकों का अच्छा इस्तेमाल किया है एवं कई रोचक कहानियां प्रस्तुत की हैं.
फ़ाल्क के उपजाऊ दिमाग में विचारों की कभी कोई कमी नहीं रही इसलिए उन्होंने पुराने खलनायकों को दोहराने की बजाये हमेशा नए-नए खलनायकों को पेश करने को ही तरजीह दी,हालाँकि कई ऐसे पुराने खलनायक रहे हैं जिनकी वापसी काफी धमाकेदार हो सकती थी पर फ़ाल्क का नज़रिया शायद दूसरा ही था.जिन खलनायक किरदारों को फ़ाल्क ने दोहराया है उन्हें उँगलियों पर गिना जा सकता है जैसे की 'ताराकिमो,टेरर,कुला कु’.
अगर फ़ाल्क चाहते तो गिद्ध को भी उसी रोमांचक रूप पेश करते रहते जिस तरह अष्टांक को उन्होंने मैन्ड्रेक के सदाबहार खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया,अष्टांक और विषधर ही एकमात्र ऐसे खलनायक रहे जिनसे मैन्ड्रेक की मुठभेड़ कई बार दोहराई गयी और अंत में ये दोनों एक ही व्यक्ति निकले.अजीब बात है की मैन्ड्रेक के लिए उन्होंने खलनायकों को दोहराने से परहेज़ नहीं किया पर वेताल के लिए उनका नज़रिया कुछ अलग ही रहा.
खैर,बात करते है मौजूदा कॉमिक की,इस कहानी की खासियतों में कसी हुई स्क्रिप्ट,चुस्त संवाद और कमाल के चित्र शामिल है,खासतौर से दुसरे भाग का मुखपृष्ठ जो की निश्चय ही इंद्रजाल कॉमिक्स के सबसे आकर्षक कवर्स में से एक है.
ज़रा गौर फरमाइए इस कवर पर,फ्रंट में वेताल की गंभीर मुखमुद्रा वाला ब्लोअप,आगे गरजती हुई तोपें और पीछे आग की लपटों से बनती हुई अक्षर 'V' की शक्ल जिसमे गिद्ध उड़ रहे है..वाह,कमाल की सोच को चित्रों द्वारा जीवंत किया है आर्टिस्ट 'जैमे वाल्व' ने!




















प्रथम भाग के कवर को तो स्वर्गीय गोविन्द जी ने तैयार किया था पर द्वितीय भाग के कवर को मुझे नहीं लगता की किसी दूसरे आर्टिस्ट ने तैयार किया होगा बल्कि कॉमिक के सबसे आखिरी पैनल को ही कवर का रूप दे दिया गया है जो की बिलकुल उचित निर्णय था.




















FREW द्वारा इस कथानक को सामान्य 32 प्रष्ट के फॉर्मेट में प्रकाशित किया था पर इंद्रजाल ने इसे दो भागो में प्रकाशित किया था,हालाँकि FREW द्वारा किसी भी पैनल की कांट-छांट नहीं की गई थी पर उनके आकार में ज़रूर बदलाव किया गया था 32 पृष्ठ में कहानी को समेटने के लिए लेकिन इंद्रजाल ने पूरी भव्यता एवं सम्मानजनक तरीके से इस कहानी को दो शानदार भागों में पाठकों से सामने रखा.
दोस्तों,तुलनात्मक अध्धयन हेतु FREW द्वारा प्रकाशित इसी कहानी का वो अंक भी साथ-साथ प्रस्तुत किया जा रहा है हार्दिक साभार सहित जनाब अजय मिश्रा साहेब के जिन्होंने इस अंक को तुरत-फुरत स्कैन कर भेजने की कृपा की.





















Continue Reading »

Thursday, May 20, 2010

# आगामी आकर्षण

दोस्तों आगामी आकर्षण के रूप में प्रस्तुत होने वाली है एक बेहद रोमांचक वेताल कथा "वाकुल दुर्ग का रहस्य",ये महज़ एक कॉमिक पोस्ट नहीं होगी बल्कि हम तफ़सील से बातचीत करेंगे इस कॉमिक,वेताल और इस कथा से जुड़े कई अनछुए पहलुओं के बारे में और जानेंगे क़रीब से कई ऐसी बाते जो ज़्यादा लोगों की जानकारी में नहीं होंगी.
तो  दोस्तों बस थोड़ा इंतज़ार कीजिये इस कालजयी वेताल कथा का जिसका नाम है  
"वाकुल दुर्ग का रहस्य"

 
 


Continue Reading »

Sunday, May 9, 2010

# Samundri Daku

Indrajal comics no.51,'Samundri Daku' was posted by me on mega Indrajal comics blog "Indrajal on line" on 2nd May. 

    


































But this was not an ordinary post where comic lovers can simply download comic,say formal thanks and forget about the post,rather they were forced to tickle their brains in order to download the comic as the download file was password protected,the password was hidden in a quiz and solution of the quiz was itself the d/l password.
Scans of 4 panels from different strips were taken and the d/l password was the solution of following equation:
D/L Password = (Strip No.1+Strip No.2+Strip No.3) X Strip No.4


Continue Reading »

Related Posts with Thumbnails

Contributors

Navdeep
Srinivas
Frank
Achala
Venkit