दोस्तों एक तवील(लम्बे) वक्फ़े(अन्तराल) के बाद मैं दोबारा हाज़िर हूँ एक कॉमिक आप सब की खिदमत में लेकर.दरअसल पिछले कुछ वक़्त से कॉमिक्स की दुनिया से दिल कुछ उचाट सा हो गया था जो की वायस(वजह) था कॉमिक पोस्टिंग को लेकर मेरी उदासीनता का.वैसे भी जैसा के आप लोग जानते ही हैं की महज़ कॉमिक पोस्टिंग करना मेरा मक़सद नहीं,मेरा मक़सद तो दरअसल कॉमिक्स के साथ आप लोगों के साथ उनसे जुडी यादें सुनना और सुनाना है.
ऐसी ही आज की कॉमिक है मधुमुस्कान का अंक न.351.मधुमुस्कान,जैसा की आपको मालूम होगा ही,एक ऐसी हास्य पत्रिका थी जो सरल हास्य के साथ अन्दर तक गुदगुदा देती थी जिसमे जगदीश,हरीश सूदन
,हुसैन ज़ामिन,अंसार अख्तर,पाशा आदि कलाकारों की रचनायें बेहद सशक्त और मनोरंजक हुआ करती थी.