Sunday, January 1, 2012

# " जंगल से बुलावा "

दोस्तों,सबसे पहले इस ब्लॉग के सभी पाठकों को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं | उसके बाद ख़ुशी की खबर यह है की इस वर्ष के प्रथम दिन ही एक नयी पोस्ट लेकर हाज़िर हुए हैं जनाब विशाल शर्मा जी अपने चिरपरिचित जोशीले अंदाज़ में जो पढ़ने वालों के दिल में खलबली मचा देता है | इनका प्रस्तुतीकरण ऐसा होता है जैसे कोई कवि वीर रस से सरोबार कोई कविता भरी महफ़िल में पेश कर रहा हो | 

यह कॉमिक वर्ल्ड के लिए सौभाग्य की बात है की अपनी कविता पेश करने के लिए इन्होने कॉमिक वर्ल्ड को चुना जिसके लिए इन्हें हार्दिक धन्यवाद् | 

तो दोस्तों मैं ज़्यादा देर तक आपके और इस कॉमिक के बीच नहीं आते हुए पेश करता हूँ विशाल शर्मा जी का नायब प्रस्तुतीकरण "जंगल से बुलावा" उन्ही के अंदाज़ में उन्ही की ज़बानी |

समस्त हिंदी इंद्रजाल के चाहने वालों को कॉमिक वर्ल्ड की तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुबकामनाएं !

इस शुभ अवसर पर पेश है आप सब के लिए वेताल और डायना के अथाह प्रेम को दर्शाती यह प्रेम कहानी
                        "जंगल से बुलावा"


यह कहानी दैनिक स्ट्रिप न: 143 "The Tree House " का हिंदी रूपांतर है , जिसे Times of India वालों नें इंग्लिश में "Call Of The Jungle " के नाम से और हिंदी में "जंगल से बुलावा " के नाम से 1982 में अपने 394 वें अंक में प्रकाशित किया  , हालाँकि प्रस्तुत कहानी में स्ट्रिप के पहले हिस्से को दर्शाया गया है , और TREE HOUSE  की शेष कहानी इंद्रजाल नें अपने 400 वें और 401 वें अंक "वेताल का हवामहल' में दो भागों में पूर्ण किया |

प्रस्तुत कहानी में डायना के चले जाने के बाद वेताल का उदास रहना और डायना के खयालों में खोये रहना साईं बैरी नें अपने चित्रों से बखूबी दर्शाया है |


अरे भाई हमारी स्वप्न सुंदरी डायना का भी ये ही हाल है , हर दम वेताल का चेहरा ही आंखों के सामने , देखिये :(




जरा इस हूर- ए- चमन  डायना की आंखों की तरफ देखिये , ऐसा लगता है की जैसे  सारी काएनात की सुन्दरता इन आंखों में ही सिमट आई है , "इन आखों की मस्ती के ...मस्ताने हजारों है ..." डायना की आंखों और बालों नें मुझे बचपन से ही अपनी और आकर्षित कर लिया था, यह दीवानापन आज भी पुरजोर कायम है
"तू ही वो हसीं है .. जिसकी तस्वीर ख्यालों में बचपन से बनी है ..तू ही वो हसीं है " :) माफ़ी चाहूँगा वेताल से , पर यह भी सच है की जिस कहानी में डायना नहीं होती थी वो कहानी मुझे अधूरी अधूरी सी लगती थी !



इस कहानी का मुख्य आकर्षण ही  वेताल और डायना का  जुदाई की उदासी की वजह से एक दुसरे के ख्यालों में  ही हर पल खोये रहना है |

लेकिन इस जुदाई के डंक नें बुरी तरह से डसा है हमारे वेताल को , इतना उदास और खोया खोया सा तो मैंने वेताल को पहले कभी नहीं देखा |

और तन्हाई नें वेताल को यह कहने पर मजबूर कर ही दिया "डायना, काश तुम यहाँ होती , मणिमहल में ! :) 
वेताल के बेठने के अंदाज से ही पता चल रहा है की वो कितना सूनापन महसूस कर रहा है

लेकिन इन्तहा तो तब होती है जब लोंगो और वाम्बैसी कबीले  के मुखिया पानी के झगडे को निपटाने के लिए वेताल को मदद के लिए बुलाते हैं लेकिन यह क्या वेताल को यह तक पता नहीं की कौन क्या बोल रहा है , सब सिर के ऊपर से जा रहा है , पर क्यों ? चलिए देखते हैं |




सबसे बढ़िया आवाज जो बिरहा के सताए वेताल के दिल से निकलती है "तेज क्यों चल रहे हो तूफान ? अब वे (डायना) बीहड़ वन में नहीं हैं !" जबरदस्त !!



जंगल की एक पुरानी कहावत यह भी बननी चाहिए थी की  "जब कटिना और जम्बु चलतें हैं तो सब रास्ता खुद ब खुद बनता जाये " |




चलिए अब कहानी में 'ट्विस्ट' लातें हैं , एक साधारण ख़त नें वेताल के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी , मन में बुरे बुरे विचार पनपने लगे , इस तरह से-




नहीं नहीं , बस अब और नहीं , मैं वेताल को और दुखी नहीं देख सकता , चलिए वेताल को एक खुशखबरी सुनाते हैं  डायना के मुंह से ही , लेकिन यह डायना नें फ़ोन पर बात करते करते हाथ से ऐसा क्या कर दिया की वेताल फिर से चहकने लगे , और नाचनें पर भी मजबूर हो गए ,
"यह आपने क्या कह दिया .. की होने लगा दिल में कुछ कुछ कुछ कुछ .. यह आपने ....."



अरे भाई ये ही तो फर्क है इंद्रजाल और स्ट्रिप में , डायना नें यह कहा जिसे इंद्रजाल वालों नें नहीं दिखलाया , तभी तो पूरी कहानी का मजा लेना हो तो स्ट्रिप को जरुर पड़ना चाहिए , अब इस चित्र को देख कर समझ आता है की क्यों वेताल अपने होश खो बेठे :) यह चित्र Daily Strip न: 143 "The Tree House " में से लिया गया है  |



ह्म्म्म , यह आवाज तो किसी को भी झुमने पर विवश कर दे , और ऊपर से यह सुरीली धवनि निकालने वाली डायना हो तो बस ! मदहोश होना स्वाभाविक ही है |

शेरा और रेक्स भी गुलाटी मारनें लगे यह पता लगने पर की डायना आ रही है ! दरअसल डायना का ऑफिस डंगाला  में खुलने जा रहा है , और डायना वहीँ पर रहने आ रही है , और अब  वेताल को बंदोबस्त करना है   इस बला सी खुबसूरत डायना के समान ही खुबसूरत एक मकान का , और बस यहीं से शुरू होती है "हवामहल" को बनाने की दिशा में पहला कदम 


प्यार , जुदाई , उदासी , हताशा और फिर से दो प्रेमियों के मिलन की ख़ुशी को बखूबी दर्शाया गया है इस नायाब कहानी में श्री ली फ़ाल्क द्वारा, कवर की खूबसूरती को चार चाँद लगाये हैं शेहाब जी नें |  मैं आशा करता हूँ की नव वर्ष पर यह प्रेम से भरा तोहफा आप सब हिंदी इंद्रजाल के दीवानों को वेताल की तरह ही झुमने पर विवश कर देगा |



22 comments:

Rakesh said...

Vishal Bhai,


Wish you and your family a very happy and prosperous New Year!
Many Thanks!


You are the pioneer for Hindi IJC. We missed you since you left Indrajal-online.
Thanks so much, Again!

Rakesh said...

Vishal Bhai, Now that you are back with bang on Jan 1st..can we expect the same bonanza every day for rest of the year....;)

Vidyadhar said...

Sabhi mitro ko nav varsh ki shubhkamnaye....

Vishal bhai bahot hi achchi tarah se aapne ye kahani pesh ki he. Dhanyavad.

Ek choti si request he aapse ke aagli Post me "Hava Mahal" jarur dikha dijiye...

Dhiraj Kumar Sinha said...

धन्यवाद विशाल भाई इस नायब तोहफे के लिए:) मेरी नयी नयी शादी हुई है पर किन्ही कारणवश मुझे अभी अकेले रहना पड़ रहा है:( तो बेताल के दर्द को समझ सकता हूँ मैं...

Gaurav The Devil said...

Thanks a lot bro. Something after a lkong time but highly appreciated.

VISHAL said...

Rakesh brother

Thanks a lot for your sweet and kind words !Well, pioneeer for Hindi IJC is without any shadow of doubt is Zaheer bhai.
Rakesh bhai, not daily but on some special occasion i will definitely post hindi IJC
Happy New Year to you and your family

VISHAL said...

VIDHYADHAR भाई
आपको इस नाचीज की यह छोटी से पेशकश पसंद आई , उसके लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया , आप जैसे हिंदी इंद्रजाल के चाहने वालों को मुझे REQUEST करनें की कोई जरुरत नहीं है , आपका हुक्म सर आंखों पर विद्याधर भाई , जैसे आप पोस्ट में पड़ ही चुके हो की यह "हवामहल" के निर्माण की तरफ पहला कदम था , अगली पोस्ट में TREE HOUSE के निर्माण की कहानी को पूर्ण कर दूंगा , बस थोडा वकत दीजिये , तब तक मैं अभी से यह सोचना शुरू कर देता हूँ की इस आलिशान महल की पोस्ट को कैसे ज्यादा से ज्यादा भव्य बनाया जा सकता है , आपकी हौसला अफजाई के लिए फिर से शुक्रिया भाई

VISHAL said...

DHIRAJ KUMAR SINHA JI

धीरज भाई , आपके दर्द-ए-जिगर नें तो मेरे दिल को छू लिया , आपकी दिल की गहराइयों से लिखे गए यह अल्फाज मेरे दिल-ओ दिमाग में उतरते चले गए ! आपको वेताल का एकाकीपन का दर्द अपने दर्द जैसा लगा , बहुत खूब धीरज भाई ! आपनें अपने छुपे हुए जज्बातों को बहुत बेहतरीन तरीके से पेश किया है , पर यकीन मानिये आपकी "डायना " का हाल भी आप ही तरह होगा , और देखना जल्द ही आप भी ख़ुशी से वेताल की तरह झुमने वाले ही हो जब आप को पता चलेगा की आगे से आप दोनो को अलग अलग नहीं रहना पड़ेगा , और यह खुशखबरी यहाँ आकर जरुर व्यक्त करना , हम सब इस खुशखबरी का अभी से इन्तेजार कर रहे हैं धीरज भाई ,
मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ की आप दोनो हमेशा हमेशा के लिए संग संग रहो :)

VISHAL said...

THE DEVIL Brother

Devil Bhai, i am very happy now as you liked my work a lot ! Thanks for your encouraging words. Such healthy words works just like an 'energy tonic' for uploaders. So keep coming and commenting.
once again thanks Devil Bro

Comic World said...

बहुत खूब दोस्तों ! विशाल भाई,विद्याधर भाई,राकेश भाई और दुसरे सभी दोस्तों आप सबको इस कॉमिक पर बच्चों सरीखी मासूमियत से चर्चा करते देख बहुत ख़ुशी हो रही है | यह देखकर बड़ा अच्छा लग रहा है की वेताल का जादू कैसे हम सब के भीतर के बच्चे को जिंदा रखे हुए है |

सच है की वेताल की कहानियां हैं ही इस कद्र हृदयग्राही की जिनपर उम्र का ज़रा सा भी फर्क नहीं पड़ता और छह से लेकर साठ साल तक के बच्चे इनका मज़ा ले सकते हैं |

मैं चाहूँगा यदि और भी पाठक आकर इस बज़्मे-इंद्रजाल की शान का हिस्सा बने |

Vidyadhar said...

Vishal bhai aur Zaheer bhai

aap logo ka IJC ko post karne ka jo tarika hein vo bahot hi achcha he. Aap ka yahi tarika muje har roj yah blog ko visit karne ke liye vivash kar deta hain :)

Rakesh said...

I have not seen any better presentation of Hindi IJC from anyone than from Vishal Bhai.

Vishal Bhai to Hindi IJC ke BADSHAH hai...

Please keep it coming. I guess you got to make it up ( a humble request) for your long absense .. :)

TIGER said...

What a bombastic post yaar
I like the way you post this love story.It reminds me of my olden golden days when i was unmarried , and i too used to wander here and there like vetaal in absence of my G.F.;)
What is more attractive in this post is your comparison of this story with original strip SMACK SMACK and such a small file size of 7 mb and quality is terrific
Waiting for your next blast
Thank you jaheer bhai & vishal bhai

VISHAL said...

Tiger bro
I am very happy that Vetal/Dyna took you back to your golden memories of your life! You like the way i posted this story and i like the way you expressed your feelings and emotions here:0
Thanks a lot for your morale booster comment dost !

VISHAL said...

विद्याधर भाई
आपका फिर से शुक्रिया जो आपको इंद्रजाल कॉमिक्स को पोस्ट करने का तरीका पसंद आया , इससे बढ़िया एक uploader का मनोबल बढाने के लिए और क्या हो सकता है की विद्याधर भाई जैसे कद्रदान बार बार पोस्ट को देखने आते हैं और दिल से तारीफ करते हैं

VISHAL said...

राकेश भाई
आपने तो मुझे अपनी अगली पोस्ट के लिए पूरी तरह से तरोताजा कर दिया है , आपका हुकम सर आंखों पर , जल्द ही एक और वेताल कथा के साथ मिलूँगा , आपने अपने कीमती वकत से कुछ पल मेरी पोस्ट के लिए निकाले , उसके लिए आपका एक बार फिर से शुक्रिया , आप जैसे कद्रदान होंगे तभी तो वेताल कथा को पोस्ट करने का मजा आता है

Gaurav Arya said...

What a great love story with heart touching feelings and the way to present a comic. I am very impresed. Sach me ish comic ko padhne ka maja chaar guna ho gaya. Thank you very much. Vishal bhai & Zaheer bhai. Just keep it up for us.

VISHAL said...

गौरव जी
आपने दिल खोलकर इस हृदयस्पर्शी दिलकश प्रेम कहानी को एवं पोस्ट करने के तरीके को भी सराहा ! ,इसके लिए आपका बहुत ही शुक्रिया , आपकी जोरदार टिपण्णी पड़ कर दस गुना ज्यादा मजा आया गौरव आर्य जी , आपके नेक अल्फाजों का एक बार फिर से शुक्रिया

दयानिधि said...

ek shabd... behatarin.......

VISHAL said...

दया निधि जी , आपका यह एक शब्द ही १०० शब्दों के बराबर है ! आपके इस एक शब्द ' बेहतरीन' नें मुझे आनंदित कर दिया , आपको काम पसंद आया और आप यहाँ तशरीफ़ लाये , उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया

दयानिधि वत्स said...

जहीर भाई का यह प्रयास अतुल्य है, खूबसूरत है. भगवान उनकी लेखनी को और उंचाई

Anonymous said...

is it a monthly publication?

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