दोस्तों इस फ़रवरी इस ब्लॉग ने अपने वजूद के पूरे सात साल मुक़म्मल कर लिए हैं । जी हाँ, कॉमिक वर्ल्ड को वजूद में आये इस चार फ़रवरी को पूरे सात साल का अरसा हो चुका है । जैसा कि दस्तूर हैं कि हर सालगिरह पोस्ट में पिछले सालों की, उपलब्धियां तो नहीं कह सकते हैं बल्कि ब्लॉग के चलन की विवेचना ज़रूर की जाती है । यह ब्लॉग, जोकि शुरू हुआ था इस वाहिद मक़सद के साथ कि इंद्रजाल कॉमिक्स पर ख्याल, यादें और अनुभव साथी इंद्रजाल कॉमिक्स प्रेमियों के साथ साझा किये जाये, वह समय के साथ-साथ कॉमिक्स पर ही न सीमित रहकर उपन्यासों, बाल पॉकेट बुक्स, फ़िल्मों इत्यादि को भी अपने घेरे में लेने लगा जिसे आप लोगों ने पसंद भी किया क्योंकि आरंभिक कॉमिक्स स्कैन करने और शेयर करने की प्रक्रिया के अलावा इस ब्लॉग ने कॉमिक्स और उनकी कहानियों पर भी तब्सिरा करना आरंभ किया जिसमे ख़ासतौर से इंद्रजाल कॉमिक्स की कहानियों पर विवेचना पसंद की गई ।
चुनिंदा फ़िल्मों की दृश्य-दर-दर विवेचना भी एक नया प्रयोग थे जिसे भी आपने सराहा मसलन 'शक्ति' फ़िल्म पर पोस्ट जिसमे फ़िल्म की ख़ासियतों का वर्णन उनसे सम्बंधित दृश्यों के साथ किया गया था ।
बहरहाल इस पोस्ट का मक़सद जिस चीज़ पर चर्चा करना है वह मेरे दोनों शौकों-यानि कॉमिक्स और फ़िल्म-का हाइब्रिड है जोकि है ऐसी कॉमिक जिसे आजकल ग्राफ़िक नॉवेल के नाम से ज्य़ादा जाना जाता है । 'शोले' फ़िल्म हाल ही में थ्री-डी फॉर्मेट में भी प्रदर्शन के कारण चर्चा में थी और अब इस फ़िल्म पर सिप्पी बंधुओं द्वारा दो कॉमिक्स, जिन्हे ग्राफ़िक नॉवेल कहा जाता है, निकाली गयी हैं । पहली कॉमिक हैं जिसमे फ़िल्म शोले की कहानी एक कॉमिक के रूप में पेश कि गई है ।
शोले फ़िल्म जोकि एक किवदंती का रूप ले चुकी है उसे एक कॉमिक के शक़्ल में देखना एक रोमांचक अनुभव है जो कोई भी 'शोलेबाज़' मिस करना नहीं चाहेगा ।
इस फ़िल्म के मशहूर संवाद कॉमिक में अंग्रेज़ी भाषा में पढ़ना भी एक रोमांचक अनुभव है जोकि इस कारण रोमांचक बना रह सका क्योंकि भाषा की हदें भी इस फ़िल्म की लोकप्रियता पर असर नहीं डाल सकीं । ज़रा बानगी देखिये, 'तेरा क्या होगा कालिया' को अंग्रेज़ी में किस तरह अनुवाद किया गया है:
अब अगर देखा जाए तो 'तेरा क्या होगा कालिया' का सीधा और सपाट अनुवाद बनता है What will happen of you, Kaaliya? लेकिन कॉमिक में इसको लिखा गया है What's gonna become of you,Kaliya?, जोकि ज्य़ादा सटीक और फिट है बनिस्बत What will happen of you, Kaaliya? के ।
इस ग्राफ़िक नॉवेल की प्रिंटिंग एवं काग़ज़ क्वालिटी बेहद उच्च दर्जे की है और चित्र भी निहायत ही नयनभिराम जोकि आपको एक बार लिए चलते हैं उसी दुनिया में जहाँ आप पहले भी कई बार फ़िल्म के ज़रिये जा चुके होंगे । फ़िल्म के मशहूर दृश्यों को भी उसी अंदाज़ में कॉमिक में चित्रित किया गया है जिस अंदाज़ में उन्होंने परदे पर अपना जलवा बिखेरा था । मसलन ट्रेन-चेज़ दृश्य में ठाकुर का बुलेट से जय-वीरू की हथकड़ियाँ खोलना हो या फ़िर ट्रेन का पटरी पर रखे लकड़ियों के गट्ठर को रौंदते हुए निकल जाना हो ।
कॉमिक पढ़ते समय पूरी फ़िल्म आपके दिमाग में भी साथ-साथ चलने लगती है और कॉमिक एवं फ़िल्म के दृश्यों में आपको समरूपता सी नज़र आने लगती है और आप एक फ़िर एक नए अंदाज़ में इस कालजयी फ़िल्म का रस्वादन एक अलग ही तरीके से करने का मौका पा जाते हैं जो आपको फिर एक बार लुत्फ़अंदोज़ करता है ।
दूसरी कॉमिक में गब्बर के बचपन और पृष्ठभूमि को एक कॉमिक की शक़्ल में पेश किया गया है और उसकी खूंखारता और वहशत के पीछे के कारणों को तलाशने की कोशिश की गयी है ।
इस कॉमिक में बताया गया है कि गब्बर, डाकू गब्बर सिंह कैसे बना और उसके पिता हरी सिंह(जिसका कि फ़िल्म में सिर्फ़ एक मर्तबा ज़िक्र आता है जब अदालत में गब्बर की पेशी होती है) की क्या भूमिका थी उसके डाकू बनने में । गब्बर सिंह इतना अड़ियल, वहशी और दुर्दांत क्यों बना, उसके अंदर एक ऐसे हत्यारे के जरासीम पैदा कैसे हुए जो एक बच्चे को भी अपनी गोली का निशाना बनाने से नहीं चूकता । इस कॉमिक में इन्ही सब कारणों की जड़ों को टटोला गया है ।
कुल मिलकर किस्सा-ए-इतना है कि अगर आपको फ़िल्म शोले पसंद है और बेहद पसंद है तो कोई वजूहात ऐसी नहीं है कि आपको यह कॉमिक्स पसंद न आएं । और अगर आप कॉमिक संग्राहक भी हैं तब तो आप इन कॉमिक्स का अपने संग्रह में न होना किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते जोकि आपको करना चाहिए भी नहीं ।
यह दोनों कॉमिक्स किसी भी ऑनलाइन बुक शॉप पर उपलब्ध हैं जहाँ से आप इन्हे इनके प्रिंटेड मूल्य पर अच्छी डिस्काउंट के साथ खरीद सकते हैं ।
चलते-चलते आपको उस नतीजे की भी कुछ झलकियाँ दिखलाता चलूँ जोकि इस ब्लॉग के कारण ही वजूद में आया । अगर यह ब्लॉग न होता तो यह नतीजा भी न होता जिसकी कि कुछ तसवीरें नीचे चस्पा हैं ।
चुनिंदा फ़िल्मों की दृश्य-दर-दर विवेचना भी एक नया प्रयोग थे जिसे भी आपने सराहा मसलन 'शक्ति' फ़िल्म पर पोस्ट जिसमे फ़िल्म की ख़ासियतों का वर्णन उनसे सम्बंधित दृश्यों के साथ किया गया था ।
बहरहाल इस पोस्ट का मक़सद जिस चीज़ पर चर्चा करना है वह मेरे दोनों शौकों-यानि कॉमिक्स और फ़िल्म-का हाइब्रिड है जोकि है ऐसी कॉमिक जिसे आजकल ग्राफ़िक नॉवेल के नाम से ज्य़ादा जाना जाता है । 'शोले' फ़िल्म हाल ही में थ्री-डी फॉर्मेट में भी प्रदर्शन के कारण चर्चा में थी और अब इस फ़िल्म पर सिप्पी बंधुओं द्वारा दो कॉमिक्स, जिन्हे ग्राफ़िक नॉवेल कहा जाता है, निकाली गयी हैं । पहली कॉमिक हैं जिसमे फ़िल्म शोले की कहानी एक कॉमिक के रूप में पेश कि गई है ।
शोले फ़िल्म जोकि एक किवदंती का रूप ले चुकी है उसे एक कॉमिक के शक़्ल में देखना एक रोमांचक अनुभव है जो कोई भी 'शोलेबाज़' मिस करना नहीं चाहेगा ।
इस फ़िल्म के मशहूर संवाद कॉमिक में अंग्रेज़ी भाषा में पढ़ना भी एक रोमांचक अनुभव है जोकि इस कारण रोमांचक बना रह सका क्योंकि भाषा की हदें भी इस फ़िल्म की लोकप्रियता पर असर नहीं डाल सकीं । ज़रा बानगी देखिये, 'तेरा क्या होगा कालिया' को अंग्रेज़ी में किस तरह अनुवाद किया गया है:
अब अगर देखा जाए तो 'तेरा क्या होगा कालिया' का सीधा और सपाट अनुवाद बनता है What will happen of you, Kaaliya? लेकिन कॉमिक में इसको लिखा गया है What's gonna become of you,Kaliya?, जोकि ज्य़ादा सटीक और फिट है बनिस्बत What will happen of you, Kaaliya? के ।
इस ग्राफ़िक नॉवेल की प्रिंटिंग एवं काग़ज़ क्वालिटी बेहद उच्च दर्जे की है और चित्र भी निहायत ही नयनभिराम जोकि आपको एक बार लिए चलते हैं उसी दुनिया में जहाँ आप पहले भी कई बार फ़िल्म के ज़रिये जा चुके होंगे । फ़िल्म के मशहूर दृश्यों को भी उसी अंदाज़ में कॉमिक में चित्रित किया गया है जिस अंदाज़ में उन्होंने परदे पर अपना जलवा बिखेरा था । मसलन ट्रेन-चेज़ दृश्य में ठाकुर का बुलेट से जय-वीरू की हथकड़ियाँ खोलना हो या फ़िर ट्रेन का पटरी पर रखे लकड़ियों के गट्ठर को रौंदते हुए निकल जाना हो ।
कॉमिक पढ़ते समय पूरी फ़िल्म आपके दिमाग में भी साथ-साथ चलने लगती है और कॉमिक एवं फ़िल्म के दृश्यों में आपको समरूपता सी नज़र आने लगती है और आप एक फ़िर एक नए अंदाज़ में इस कालजयी फ़िल्म का रस्वादन एक अलग ही तरीके से करने का मौका पा जाते हैं जो आपको फिर एक बार लुत्फ़अंदोज़ करता है ।
दूसरी कॉमिक में गब्बर के बचपन और पृष्ठभूमि को एक कॉमिक की शक़्ल में पेश किया गया है और उसकी खूंखारता और वहशत के पीछे के कारणों को तलाशने की कोशिश की गयी है ।
इस कॉमिक में बताया गया है कि गब्बर, डाकू गब्बर सिंह कैसे बना और उसके पिता हरी सिंह(जिसका कि फ़िल्म में सिर्फ़ एक मर्तबा ज़िक्र आता है जब अदालत में गब्बर की पेशी होती है) की क्या भूमिका थी उसके डाकू बनने में । गब्बर सिंह इतना अड़ियल, वहशी और दुर्दांत क्यों बना, उसके अंदर एक ऐसे हत्यारे के जरासीम पैदा कैसे हुए जो एक बच्चे को भी अपनी गोली का निशाना बनाने से नहीं चूकता । इस कॉमिक में इन्ही सब कारणों की जड़ों को टटोला गया है ।
कुल मिलकर किस्सा-ए-इतना है कि अगर आपको फ़िल्म शोले पसंद है और बेहद पसंद है तो कोई वजूहात ऐसी नहीं है कि आपको यह कॉमिक्स पसंद न आएं । और अगर आप कॉमिक संग्राहक भी हैं तब तो आप इन कॉमिक्स का अपने संग्रह में न होना किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते जोकि आपको करना चाहिए भी नहीं ।
यह दोनों कॉमिक्स किसी भी ऑनलाइन बुक शॉप पर उपलब्ध हैं जहाँ से आप इन्हे इनके प्रिंटेड मूल्य पर अच्छी डिस्काउंट के साथ खरीद सकते हैं ।
चलते-चलते आपको उस नतीजे की भी कुछ झलकियाँ दिखलाता चलूँ जोकि इस ब्लॉग के कारण ही वजूद में आया । अगर यह ब्लॉग न होता तो यह नतीजा भी न होता जिसकी कि कुछ तसवीरें नीचे चस्पा हैं ।
29 comments:
Pehle to Badhai Zaheer Bhai ....
Or itne Khatarnak sangrah ke pics aapne laga rakkhe hain ..Jald hi ghar me daikiti dalwayenge aap ;)
Dhanybaad
aapke likhe article hamesha mazedaar hote hai i feel you should be writing for magzines or newspaper
बहोत अच्छी पोस्ट
Lekin comics missing kyon hai Zaheer bhai?
First my congratulations for completing 7 years of blogging. Out of these 7 years I am following your blog for about six and half years. Your anniversary posts till 5th anniversary were like "Utsav" but now it seems you have lost a little bit of interest in blogging. Anyways it is personal choice and interest. For this to some extent I think your regular readers, including myself, a little bit of responsbile as in the subsequent period they visit the blog regularly but at times hesitate to discuss on the topic through long and meaningful comments as comments for comments sake is not enough for creative people like you (and me). I do not know others but my creative sauce had almost dried in the last few years and at times I am at a loss how to write though there were lot of ideas in my mind but all of them abstract and absurd which I could not put in order to present it in lucid form for a meaningful discussion on a topic in the blog. I hope good days of your blog (and my creative sauce) will come again. Even if not I am following your updates on facebook. Doesn't matter.
Congratulations Bhai. Abhi to blog ko 7 saal huye hain. Blog isse bhi kafi aage jaye uske liye shubhkamnaye. (y)
सात साल पूरे करने की बहुत बहुत बधाई।पिछले कुछ समय से ब्लागिंग काफी कम हो गयी है।सोशल साइट के जमाने में ब्लाग से लोगों को जोड़ कर रखना एक चुनौती पूर्ण कार्य है।आज कल innovation का जोर है चीज़ों का जीवन चक्र सिकुड़ता जा रहा है।आज ब्लॉग के साथ हो रहा है कल सोशल हाइट के साथ भी ऐसा ही होगा।
मुझे शोले का कामिक स्ट्रीप के रूप में आना ज्यादा आकर्षित नहीं करता है।यह केवल पश्चिम में चल रही marketing tools की भौंडी नकल मात्र लगती है जिसका एक ही उद्देश्य है किस प्रकार राजस्व को बढ़ाया जाये।पहले फिल्म बनाते हैं,फिर merchandise निकाले जाते हैं,गेम भी आते है,उसके बाद ना जाने क्या।
बहुत-बहुत धन्यवाद् प्रभास भाई ।
उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया नहलावत भाई ।
धन्यवाद आशीष भाई । कॉमिक्स भी जल्दी ही आएंगी ।
Thanks SB for warm wishes.Well, you are right that due to time factor and other preferences of life, blogging has certainly took a back seat.Moreover, though the blog originated as comic sharing site it eventually developed into a platform where we like minded comic/mags/novels lovers can discuss and share our meaningful thoughts and creative ideas.
I have no hesitation to accept that some of the best post of this blog have germinated from the ongoing discussions between dedicated and passionate comic lovers like you, Kuldeep Jain bhai and others.
I have mentioned quite a few times that I need a catalyst for enhancing the chemical reactions in me which results in generation of a thoughtful and meaningful post(s) and earlier that catalyst roles were played by meaningful,dedicated and passionate comments vibrating with energy and ideas from Kuldeep Jain,you and others which unfortunately have dried a bit same as my passion to share the thoughts and ideas have dried a bit but still very much alive.
I also hope to see that time coming back though not in that frequency but having the same vigour which it earlier used to have.
Thanks Vidhyadhar bhai.
शुक्रिया पराग भाई । मैं आपसे सहमत हूँ कि जीवन में बढ़ती ज़रूरियात के चलते समय सिकुड़ता जा रहा है और ब्लॉगिंग में मंदी भी उसी का ही असर है । मैं आपकी इस बात से भाई सहमत हूँ कि एक सफ़ल फ़िल्म पर कॉमिक इत्यादि निकालना भी उसकी लोकप्रियता को भुनाने मात्र की क़वायद भर है । अब जहाँ तक बात है शोले फ़िल्म पर निकाली गयी इन कॉमिक्स की तो भले ही यह शोले की सफ़लता को भुनाने की एक और कोशिश मात्र हो लेकिन इसमें कोई शुबहा नहीं है यह कॉमिक्स भी किसी कम स्तर की नहीं हैं । इन कॉमिक्स की आर्ट, प्रिंटिंग और कहानी पर मेहनत की गयी है जोकि इन्हे रोचक और पठनीय बनाती है । अगर यह शोले फ़िल्म से सम्बंधित न होती तो भी पढ़ने लायक तो होती ही लेकिन चूँकि यह शोले से सम्बंधित है इसीलिए यह संग्रह लायक भी हैं उन फ़िल्म प्रेमियों के लिए जिन्हे शोले ने हद से ज्य़ादा मुतास्सिर किया है ।
Hello Zaheer ! Congrats on blog's Anniversary . Your posting of comics has become like posting on Anniversary celebrating your marriage Anniversary without enjoying your married life whole year . Just take a some time to share gems available with you , we would enjoy these too. Sholay was indeed a very nice movie , no other movie can match that still todate .
Hope your future Anniversary post will be some sharing too as blogs are now international so persons who have not seen Sholay will be deprived of other gems
Thanks Ajay.Well,I agree with you that frequency of posts at this blog has been reduced considerably because posting mere comic links was never been motto of the blog without any dedicated and serious discussion over it.I shall try to come up with comics as well as some discussion also in near future.
Hi JAheer
my greetings for completing 7 years of comic world.
i am sorry for being so late to show my presence but 4th Feb i started from Delhi and then as i reached here on 7th Feb busy with lots of daily work which includes hassle in the job as well.
will catch you soon..
Kuldeep
Saat saal poore hone ki bhout bhout bhadhai Sir ji,
Thanks Chandan.
Zaheer Bhai... I was amazed to see your collection of comics. I am also a Indrajal Fan. Now we dont get to see any of these. Congrats Brother.
Zaheer, congrats on your 7 years of blogging.
Maybe a poetic megapost on the fiftieth anniversary of IJC is next, sometime this month?
hi can u please share if u have any inspector azad comics?
किधर हो भाई ? 2 साल से ज़्यादा हो गया, कोई पोस्ट नहीं ? किसी और platform से अपने articles और posts upload करते हो क्या आजकल ?
where are you brother, very long time.
कहाँ पे गायब हो sir ? Bahut saal ho gaye ab तो !!!
Apka blog bahut hi achcha hai.
Apka blog bahut hi achcha hai.
thanks for gr8 info
thank you from cinevood
https://cinevood.co
Please sir hindi tinkle ki sabhi digest upload kar dijiye
For any hd comics magzine novel of any language contact me whatsapp 7870475981
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