Wednesday, August 4, 2010

# One Post, Many Thoughts!

दोस्तों इस बार काफ़ी सारे ख्यालात ज़हन में घुमड़ रहे है जिन्हें आपके साथ बांटना है पर सोच रहा हूँ की कहाँ से शुरू करू!..क्या पहले उस कॉमिक की बात करूँ जिसके बारे में बात करने की पिछली पोस्ट में बात हुई थी या फिर मरहूम शेहाब जी की उस कॉमिक की बात करू जो इस पोस्ट में आपके साथ मिलकर पढना चाहता हूँ या फिर उस कम्युनिटी के बारे में आप लोगों को बताऊँ जो न चाहते हुए भी हालातों के मद्देनज़र मुझे बनानी पड़ी.
चलिए सबसे पहले उस कॉमिक की ही बात करते हैं जिसके बारे में बात करना पिछली पोस्ट में तय हुआ था और वो कॉमिक है 'वन-वीर लोथार'.दोस्तों ये सिर्फ महज़ एक आम मैन्ड्रेक कॉमिक नहीं है जिसमे मैन्ड्रेक हमेशा की तरह अपराधियों से अपनी जादुई शक्ति के बल पर लड़ता है,बल्कि ये एक ऐसी कहानी है जो यह बताती है की मैन्ड्रेक और उसका जिगरी दोस्त लोथार कब और कैसे मिले.
 

 
























दोस्तों,ली-फ़ाल्क अपने चरित्रों के नाम काफी सोच-विचार कर रखते थे जैसे के 'मैन्ड्रेक' एक जड़ी-बूटी का नाम होता है जो फ़ाल्क ने अपने इस जादूगर चरित्र के लिए चुना,दूसरी तरफ उन्होंने लोथार को अफ़्रीका के किसी राज्य का राजकुमार होना बताया है परन्तु उसका नाम चुना है जर्मन मूल का.विकिपीडिया के अनुसार 'लोथार' प्राचीन जर्मन नाम 'Lothair' का आधुनिक संस्करण है.निवास अफ़्रीका पर नाम जर्मन..इसके पीछे जो भी वजह थी वो तो अब फ़ाल्क की साथ ही हमेशा के लिए चली गई क्यूंकि मुझे याद नहीं पड़ता की उन्होंने कभी लोथार के नामकरण का स्पष्टीकरण कभी किसी साक्षात्कार में दिया हो.
बहरहाल,फ़ाल्क को इन दोनों कद्दावर चरित्रों के प्रथम मुलाकात के बारे में बताने के लिए  ३३ वर्ष जितना लम्बा समय लगा क्योंकि मैन्ड्रेक के आगमन(१९३४) के समय लोथार को महज़ मैन्ड्रेक का नौकर बताया गया था.

 







चारित्रिक रूप से भी बलशाली शरीर को छोड़कर लोथार में ऐसी कोई खासियतें नहीं बताई गयीं थी जो पाठकों को उसके बारे में ज़्यादा सोचने पर मजबूर करती.आरंभिक कहानियों में लोथार का चरित्र टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने वाला एक कम-अक्ल के दब्बू नौकर का था जो अपने मालिक के प्रति हर हालत में वफ़ादार था,इसीलिए शुरू की कई कहानियों में सामान्य इंसान के लिए डर पैदा करने वाले हालातों में भी वो डरने के बावजूद भी मैन्ड्रेक का साथ छोड़ता नहीं दिखा.हालाँकि,उसके राजकुमार होने के बारे में प्रथम सन्डे कहानी में ही इंगित कर दिया गया था परन्तु इस बात का खुलासा प्रस्तुत कहानी से पहले कभी भी नहीं किया गया की ये दोने कब और किन हालातों में मिले.
बाद के वर्षों में जब तीसरी दुनिया के देशों का वजूद भी अन्तराष्ट्रीय समुदाय में क़ुबूल किया जाने लगा और रंग-भेद नीति के प्रति जबरदस्त प्रतिरोध अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आया तब इस हब्शी/नीग्रो चरित्र को एक सम्मानजनक जामा पहनाया गया और लोथार को बाघ की खाल के पहनावे से छुटकारा दिला कर पैंट-शर्ट पहनाई गई और मैन्ड्रेक के सामान स्तर पर पहुँचाने के लिए एक महिला-मित्र(करमा) का भी इंतज़ाम किया गया(मेरे लिए यह अभी तक एक रहस्य का विषय है की करमा और लोथार की मुलाक़ात कहाँ और कैसे हुई,अगर फ़ाल्क ने ऐसी कोई कहानी लिखी है तो मित्रगण कृपया उसके बारे में बताने का कष्ट करें),आश्चर्यजनक रूप से लोथार की भाषा में भी बहुत सुधार आया और वो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने लगा,उसे दुनिया के सबसे बलशाली इंसान की पदवी से भी विभूषित किया जाने लगा एवं कहानियों में उसके चरित्र को अधिक मज़बूती के साथ उकेरा जाने लगा और सबसे बड़ी बात अब उसे मैन्ड्रेक के निकटतम मित्र का दर्जा दिया जाने लगा.
इन सब बल और सम्बलों के बाद जब पाठकों के बीच लोथार की लोकप्रियता बढ़ी तो एक ऐसा समय आया जिसने फ़ाल्क को ये सोचने पर मजबूर कर दिया की अब इन दोनों कलाकारों के मिलने पर प्रकाश डालती कहानी लिखा जाए और नतीजतन उन्होंने लिखी एक सन्डे कहानी न.१०१ 'The Meeting Of Mandrake And Lothar'(Sunday 101,1967) जिसका इंद्रजालिक संस्करण आप पढने जा रहे हैं.
इस कहानी में दोनों के मिलने और उससे बड़ी बात लोथार के उस मोह के बारे में बताया गया है जिसकी वजह से वो अपना राज-पाट छोड़कर मैन्ड्रेक से साथ हो लिया.हालांकि इससे पहले की एक कथा में लोथार को वापस अपने राज-सिंहासन के मोह में पड़ते हुए दिखाया गया था लेकिन कुछ हास्यास्पद हालातों के चलते उसे अपना फैसला बदलना पड़ा.क्या आप सब वो कथा भी पढना चाहेंगे?..क्या कहा???...अच्छा चलिए उस कहानी का डाऊनलोड लिंक भी इसी पोस्ट में दिया जाएगा.
इस कॉमिक की कहानी तो बस इतनी है की एक अपराधी जिसने मैन्ड्रेक के पुलिसकर्मी मित्र की हत्या की थी उसे पकड़ने के चक्कर में मैन्ड्रेक को अफ़्रीका जाना पड़ता है और वहीँ अजीब हालातों में उसकी मुलाक़ात लोथार से होती है.अब कैसे और क्या थे वो हालात पढ़िए आप खुद इस कथा में.

पढ़िए वन-वीर लोथार


दोस्तों,जैसा की शायद आप जानते ही हों की मैं इस ब्लॉग के अलावा एक और कम्युनिटी से जुड़ा हुआ हूँ जहाँ मैं कॉमिक्स और विचार बांटता आया हूँ.पिछले दिनों इस कम्युनिटी पर कुछ अनचाहे हालात के चलते मुझे एक और कम्युनिटी बनानी पड़ गई जिसका नाम इसी ब्लॉग की तर्ज़ पर रखा गया है यानी की कॉमिक वर्ल्ड.दोस्तों,आप सभी सोचते होंगे की एक ब्लॉग के होते हुए भला मुझे किसी कम्युनिटी से जुड़ने या किसी नयी कम्युनिटी बनाने की क्या ज़रूरत पड़ गई!!पहले मैं भी यही सोचता था की कॉमिक्स के बारे में विचार बांटने के लिए ब्लॉग का होना काफी है पर धीरे-धीरे मुझे पता लगा की कम्युनिटीज़ पर हलचल ज़्यादा और अधिक आवृति वाली होती है चाहे भले ही उसका विस्तार सीमित हो.दुसरे शब्दों में अगर कहा जाये की ब्लॉग किसी राष्ट्रिय/अन्तराष्ट्रीय मासिक या साप्ताहिक पत्रिका की तरह होता है जहाँ आप खबरों का अधिक गहरायी से एक तयशुदा वक़्त के अनुसार ही मज़ा ले सकते हैं और दूसरी तरफ कम्युनिटी किसी लोकल दैनिक अखबार की तरह होती हैं जहाँ हलचल ज़्यादा होती है व ख़बरें/विचार ज़्यादा तेज़ी,मज़ेदार एवं चटपटे तरीके से,भले ही सतही तौर पर,एक सीमित छेत्र में बांटे जा सकते है.
यही एक कारण था मेरे किसी भी कम्युनिटी से जुड़ने/बनाने का.कॉमिक वर्ल्ड कम्युनिटी पर आपको कॉमिक्स के साथ-साथ सभी सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करने का ज़्यादा से ज़्यादा अवसर रहेगा और इसके अलावा और भी बहुत सारी बातें हैं जो आप उक्त कम्युनिटी का सदस्य बनकर ही जान सकते हैं.तो देर किस बात की है..ज़रा नज़र डालिए इस कम्युनिटी पर पसंद आये तो सदस्यता कायम रखियेगा अथवा ये ब्लॉग तो है ही आप सबसे रूबरू होने के लिए.

अब बात करते हैं आज की दूसरी कॉमिक की जो की महान कलाकार मरहूम(स्वर्गीय) शेहाब जी की कृति है और जिसका शीर्षक है 'छोटू-लम्बू और जलपरी का इनाम'.दोस्तों,मैंने महसूस किया है की शेहाब जी एक या दो पन्नो वाले फीचर्स में अधिक प्रभावशाली रूप से उभर कर आते थे बनिस्बत एक पूरी कॉमिक के क्योंकि शेहाब जी के चरित्रों के हरकतें रोज़मर्रा के कार्य के दौरान होने वालों 'संयोगों' पर अधिक केन्द्रित रहती थी जैसे की केले के छिलके पर फिसलना,पत्थर से ठोकर लगना,किसी कुत्ते या सांड का पत्थर आदि लगने से बिदकना या फिर रोलर स्केट्स पर फिसल कर हास्यस्पद हालात पैदा करना.अब ये सब संयोग एक-दो बार घटित होने पर तो हास्य उत्पन्न करते हैं पर परन्तु जब ये एक पूरी कॉमिक में कई बार दोहराए जाते हैं तो ऊब ही पैदा करते हैं.शायद इसीलिए शेहाब जी एक-दो पन्नो के फीचर्स में लाजवाब थे पर जब आती है पूर्ण कॉमिक की तो वो एक सीमित स्तर से ऊपर नहीं जा पाते थे.
इस कथन से इत्तेफाक रखा जाये या न रखा जाये इस बात का फैसला करने के लिए आप पहले पढ़िए ये कॉमिक और फिर इस कथन पर गौर कीजियेगा जिसका ज़िक्र ऊपर हुआ है.






























दोस्तों,लिखते-लिखते पोस्ट काफ़ी लम्बी हो चुकी है लेकिन मन में अभी भी काफ़ी विचार हैं बांटने के लिए,चलिए वो फिर कभी या फिर अपनी उस नवीन कम्युनिटी के द्वारा बांटे जाएँगे,फिलहाल के लिए प्रस्तुत है एक छोटी सी क्विज़,आशा है आप सबको और खासतौर पर मनोज चित्र कथा के पाठकों को पसंद आएगी.
आपको बताना ये है दिए गए निम्न एक पन्ने के फीचर के चित्रकार कौन है?इस पन्ने में वेद प्रकाश शर्मा के मशहूर और मील के पत्थर नॉवेल 'अल्फान्से की शादी'(कुलदीप भाई ज़रा गौर फरमायें) का प्रचार किया जा रहा है.ज़रा गौर से देख कर बताइए तो ये किस चित्रकार की कारस्तानी है.


           






















दोस्तों,इस पोस्ट के बाबत विदा लेने का समय आ गया,हालाँकि कई सारी कॉमिक्स के कवर्स शेष थे आप सब के साथ बांटना,पर चलिए वो अगली पोस्ट में.
     

19 comments:

Unknown said...

Zaheer Bhai,
You are far aheadof us in terms of knowledge about history of IJCs and its development with ages. I personally feel that we have to learn a lot from you.

Unknown said...

Novel ads art was done by GREATEST ARTIST MR. C.M VITANKER

मुनीश ( munish ) said...

Very well written, investigative post ! Kudos ! Brother do u remember those mags. which were considrered out of bounds for us i.e. kids of that era and even hawker refused to give a copy of Azadlok , Apsaralok etc. I know these will pale before playboy type english mags ,but still i am curious indeed to see those 'forbidden' (A)category hindi magazines , can we have a look ?

Unknown said...

most famous characters of the comics are .., person who never read comics , country where comics never come also know two heroes 1. super man 2. tarzan!!

although tarzan first came in novel but he is the first super hero who have and still inspired by many.......more than 50
inspired from tarzan
1.phantom,vetal......indrajal
2.mahabali shaka.....diamond
3.mahabali shera.....manoj
4.mahabali bhoochal....nelam
5.angara..............tulsi
6..bheriya............raj
7.jonga...............nutan
8.shaktimaan..........parampara
popularity of the comic characters as for the concern of media and public review.

superman, tarzan = 96%
batman, wonder women,93%
spiderman,heman =92%
hulk,xmen,flash,=85%
phantom=82%

kuldeepjain said...

जहीर भाई..
समझ नहीं आ रहा कि इस बार कमेन्ट कहा से लिखना शुरु करू ? आपको धन्यवाद् देते हुए कि आपने मेरी इच्छा को भापते हुए शेहाब जी कि यह कॉमिक्स पोस्ट की या फिर राज भाई कि बात का अनुमोदन करते हुए कि कॉमिक्स के ज्ञान में आप सबसे बहुत बहुत आगे हो और हम लोगो को अभी आपसे बहुत कुछ हासिल करना है.या फिर शेखर भाई को मुबारकबाद देते हुए कि उनकी पहचान सही है और मैंने भी येही सोचा था.
जब मैंने आपकी कॉमिक्स का संग्रह देखा था तब शेहाब जी कि इस कॉमिक्स पे मेरी नजर गड़ गयी थी क्योकि शेहाब जी ये रचना मैंने अब तक नहीं पढ़ी थी और इस लाजवाब पोस्ट पर इस कॉमिक्स को देख कर लगा कि जब मै आपके संग्रह को लालच भरी निगाह से ताक रहा था तो आपने जरुर मेरे निगाह को ताड़ लिया था. वैसे तो लालच अभी भी वही है और बढ भी गया है इस कॉमिक्स को पाकर .. बहुत बहुत धन्यवाद्..
इस पोस्ट को देखने के बाद बहुत सारी बाते दिमाग में घुमने लगी है और सबको लिखने में थोडा वक़्त लगेगा . सो थोडा वक़्त चाहूँगा..
अभी जाते जाते.. 'राज' के लिए..

राज आपका हिंदी इंद्रजाल का संग्रह भी बेहद शानदार है. कुछ दिन पहले मै आपको ईमेल लिख रहा था bhaiyooraj@rediffmail.कॉम पर.. ईमेल अभी तक अधुरा है . पर यहाँ आपको देख के हेल्लो बोले बिना रहा नहीं गया. आपसे चिठ्ठी पत्री थोड़े बाद में..

nahlawat said...

well if anyone remember i read one comics of vetal (phantom ) in that comics they shows that writer of tarzan comics Edgar Rice Burroughs visit to Africa and he was attacked by crocodile and our vetal jumps in water without his dress and saved him and from there he get inspiration of tarzan i think i have that comic will find and post

PBC said...

Nice article. Thanks for promised Hindi 138! I've #138 English new HR scans. It's coming in few minutes at Indrajal Online. Let both language readers enjoy.

Unknown said...

ha ha ha
Nahlawat: you are right comics that you mention was published from egmont publication, name LORD OF THE JUNGLE( if iam not wrong.!!

As the concern of PHANTOM no doubt SERIOUSLY inspired by TARZAN.
NAKKAL karne ke liye AKKAL hona jaroori hai bhai, warna is " GULISTAAN " me hajaro "CHIDIYA " raheti hai aur sabka naam BAAZ nahi hota ".!!

PHANTOM is the first inspired hero who is more interesting than ORIGIN ( tarzan )
huwa yeh ki " nakkal asal per bhari pad gaya "!!

VISHAL said...

ठीक दो महीने तक CW के इंद्रजाल नामक भव्य महल में पसरा हुआ सन्नाटा ठीक वैसा ही था जैसे तूफान आने से पहले अजीब सी ख़ामोशी छाती है , यह 'चुप्पी' आने वाले भीषण कहर का संकेत मात्र निकली , जैसे ही डॉ. साब नें अपनी ब्रहमास्त्र रूपी कलम का रुख पिछले दो महीने से आपकी राह ताकते अपने इंद्रजाल महल की और किया, क़यामत का आना तय था , प्रचंड रूप से उठ रही एक एक लहर पर एक ही नाम लिखा था "लोथार, लोथार, लोथार...." और हर लहर जय घोष करती हुई एक ही तरंग निकाल रही थी "वन वीर लोथार, वन वीर लोथार ...."
अपनी "विशलेषण-विशेषज्ञ" की छवि के अनुरूप ही क्या जबरदस्त पोस्ट लिखी है ज़ाहिर भाई, और क्या यथोचित न्याय किया है लोथार की शख्सियत के साथ !! देखलो लोथार , तुम्हारे रचयता ने भी तुम्हे वह हक़ नहीं दिया जिसके तुम हक़दार थे , और आज अगर हर तरफ तुम्हारे ही नाम का ढंका बज रहा है तो उसका श्रेय जाता है 'CW ' को !
और हाँ , यह जो अपने लिखा है लोथार के लिए महिला मित्र कारमा का 'इंतज़ाम' , यह इंतज़ाम शब्द का उपयोग काफी 'आकर्षक' और 'दिलचस्प' है , वाकई में मजा आ गया !
मैंने कभी भी इस बात की और गौर नहीं किया की क्यों ली फाल्क को मजबूर होना पड़ा लोथार को बाघ की खाल से निकाल कर चुस्त पोशाक पहनाने के लिए , जिसके पीछे की असल वजह थी रंग-भेद की नीतियों का जबरदस्त विरोध ! जिसके चलते लोथार को आधुनिकता का 'टच' दिया गया . इस रहस्य का पर्दाफाश करने के लिए "विशलेषण-विशेषज्ञ" आपका धन्यवाद् !

चलते चलते , ज़ाहिर भाई , आपको बहुत बहुत मुबारकबाद अपनी नई नवेली कम्युनिटी की स्थापना पर ! इस कम्युनिटी की 'झंडा गाड़' सफलता के लिए मेरी और से शुभकामनाएं ! आपका परचम सदैव लहराता रहे !

प्रेत

Comic World said...

Raj: Many thanks for the kind words.Bro you too are sharing these comics selflessly with all of us which is far more appreciative.

Comic World said...

Shekhar: Absolutely correct bro.,congrats for being 1st to identify the artist.

Comic World said...

Munish: Munish Bhai thanks for appreciation.Well,i think i too have 'read' a couple of issues of your mentioned stuff,regarding posting it here fortunately i am not having a single issue of it otherwise i would have been engulfed in a 'dharmsankat' whether to post it here or not.ha ha ha ......!

Unknown said...

Let me clear TARZAN novel was published before couple of year of first released OF COMIC PHANTOM.
phantom ( vetal)was inspiration of tarzan .Pls do not be confused admited by self mr. lee falk.
AND ALSO NOTIFY THE DIFFERENCES BETWEEN INSPIRATION AND COPY.

About LOTHAR= it was that year where white man ruled the world and thought that they were " GREAT" but one single negro challanged to white people ! he was cassius clay when white man used to say self GREAT ,he used to say self GREATEST.!
In 1960 all became sudden changed when clay became first black man champian of the boxing in light weight after that clay became nation wide hero the first negro hero after that the concept was changed and as the popularity of clay, mr. lee falk used his same old ,hit formula creating the characters with the mix of the TRUTH.
after the sucsess of clay who is later known GREATEST MUHAMMAD ALI, lee falk made some changes to LOTHAR.
If u can have alook at LOTHAR ART, u will find lots of changes before 1960 and after.

When MUHAMMAD ALI became GREATEST BOXER, LOTHAR became STRONGEST PERSON in the world.

if u look carefully to young MUHAMMAD ALI and imagine if he is BALD u will get some similarity with our LOTHAR..!!

Comic World said...

Shekhar: What a superb pack of information Shekhar bro!Very nice,it will help a lot in understanding the mentality of creators behind the development of these universal characters.

Comic World said...

Kuldeep: कुलदीप भाई मैं जानता था की आप इस कॉमिक को ज़रूर पसंद करेंगे और इस बात की ख़ुशी है की मेरा सोचना सही निकला.आपके दिलचस्प एवं ज़हीन ख्यालातों का बेसब्री से इंतज़ार है.

Comic World said...

Prabhat: Welcome Prabhat.

Comic World said...

CPP: विशाल भाई आपकी टिपण्णी तो ऐसी लगती है जैसे की वीर-रस में डूबा हुआ कोई काव्य-गान हो रहा है या फिर कोई जोशीला कवि अपनी जोशीली कविता से सुनने वालों के ह्रदय रुपी ताल में बड़े-बड़े शब्द रुपी पत्थर फ़ेंक कर जोश की अति-गतिशील लहरों का भंवर पैदा कर रहा है.भाई मान गए आपको,अगर आप किसी राजनैतिक संगठन के वक्ता होते तो जोश दिलाने में वो संगठन का नाम सबसे ऊपर रहता.जारी रखिये अपनी उत्साह की बारिश को हम सब को भीग कर हमेशा ही तारो-ताज़गी का एहसास होता है.

मुनीश ( munish ) said...

Okay if u ever get the 'stuff' pls. mail me or even if we share it here it won't be a big deal as it is sheer nostalgia.

Comic World said...

Munish: Sure Munish Bhai.

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